राकेश केशरी
कौशाम्बी। कादीपुर के प्राचीन हनुमान मंदिर में चल रही सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा के पांचवे दिन कथा व्यास ने श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं संग गोर्वधन लीला का संगीतमयी वर्णन किया। गोर्वधन लीला की कथा सुन दर्शन मंत्रमुग्ध हो गए। जय श्रीकृष्ण के जयकारे से पंडाल गुंजायमान हो उठा। कथा व्यास संत शीतला प्रसाद ने कहा गोकुल में कृष्ण के जन्म होने की जानकारी कंस को हुई तो उसने उन्हें मारने के लिए एक से एक बलवान राक्षस को भेजा। पूतना, बकासुर जैसे तमाम असुर भगवान के सामने नत मस्तक हुए। कहा कि एक बार इंद्र को अपनी सत्ता व शक्ति पर घमंड हो गया था। उसका गर्व दूर करने के लिए भगवान ने ब्रज मंडल में उसकी पूजा बंद कराकर गोर्वधन की पूजा शुरू करा दी। इससे गुस्साए इंद्र ने ब्रजमंडल पर भारी बरसात कराई। प्रलय से लोगों को बचाने के लिए भगवान श्रीकृष्ण ने कनिष्ठा उंगली पर गोर्वधन पर्वत को उठा लिया। सात दिन बाद इंद्र को अपनी भूल का एहसास हुआ था। कहा कि अगर भगवान को प्रसन्न कर लिया जाए तो देवी देवता को प्रसन्न करने की कोई जरूरत नहीं रह जाती है। मनुष्य को कभी घमंड नहीं करना चाहिए। क्योंकि बाद में उसे खुद की भूल का एहसास जरूर होता है। इस दौरान नितिन तिवारी, नीरज द्विवेदी, लवकुश पाण्डेय, बादशाह तिवारी, बिधाता मौर्य आदि श्रद्धालु मौजूद रहे।