इन्द्रपाल सिंह'प्रिइन्द्र
क्रान्तिकारियों का बलिदान युवाओं में पैदा कर रहा देशप्रेम का जज्बा
ललितपुर। जिला बार एसोसिएशन के बार भवन गुरुवार को सरदार भगत, सुकदेव, राजगुरु को श्रद्धांजलि देते हुए अधिवक्ताओं ने शहीद दिवस पर एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए अधिवक्ता अजय राजपूत ने बताया कि देश को आजादी दिलाने के लिए भगत सिंह ने अंग्रेजों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था। अंग्रेज अधिकारियों से टक्कर लेने वाले भगत सिंह को सेंट्रल असेंबली में बम फेंकने के लिए गिरफ्तार कर लिया गया था। जेल में अंग्रेजी हुकूमत की प्रताडऩा झेलने के बाद भी भगत सिंह ने आजादी का मांग को जारी रखा। कोर्ट में केस के दौरान उन्हें मौका मिला कि वह देशभर में आजादी की आवाज को पहुंचा सकें। उन्हें अंग्रेजों ने फांसी की सजा सुनाई थी और तय तारीख से एक दिन पहले यानी 23 मार्च 1931 को भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को फांसी दे दी थी। एड रविंद्र घोष ने कहा कि 28 सितंबर को जन्मे भगत सिंह के निधन वाले दिन को शहादत दिवस के तौर पर मनाया जाता है। भगत सिंह के क्रांतिकारी विचारों और भाषणों ने गुलाम भारत के युवाओं को आजादी के लिए उकसा दिया और स्वतंत्रता संग्राम की लड़ाई में शामिल किया। एड कृष्ण कुमार शर्मा ने कहा कि अंग्रेजी हुकूमत भरत सिंह, सुखदेव और राजगुरु की फांसी को लेकर हो रहे विरोध से डर गई थी। वह भारतीयों के आक्रोश का सामना नहीं कर पा रही थी। ऐसे में माहौल बिगडऩे के डर से अंग्रेजों ने भगत सिंह की फांसी का समय और दिन ही बदल दिया। गुपचुप तरीके से तय समय से एक दिन पहले भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को फांसी दे दी गई। 23 मार्च 1931 को शाम साढ़े सात बजे तीनों वीर सपूतों को फांसी की सजा हुई। इस दौरान कोई भी मजिस्ट्रेट निगरानी करने को तैयार नहीं था। शहादत से पहले तक भगत सिंह अंग्रेजों के खिलाफ नारे लगाते रहे। अधिवक्ता अखंड प्रताप सिंह ने कार्यक्रम का संचालन करते हुए सबका आभार व्यक्त किया। इस दौरान बृजेन्द्र सिंह चौहान, इंद्रपाल यादव, रामनरेश दुबे, पवन श्रीवास्तव, जितेंद्र ठाकुर, रमेश कुशवाहा, शेरसिंह यादव, एड पुष्पेंद्र सिंह चौहान, दीपक राजपूत, रामलखन यादव, शशिकांत लोधी, नकुल, प्रभात सिंह, अनुराग लोधी, अक्षय गौतम, नंदकिशोर कुशवाहा, अभिषेक उपाध्याय, राघवेन्द्र यादव, रवि लोधी, चक्रेश कुशवाहा, परमजीत सिंह के अलावा कई अधिवक्ताओं ने श्रद्धांजलि दी।