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बांसी-हर्षपुर पेयजल योजना बनी सफेद हाथी,छह माह से तीन दर्जन गांवों में नहीं पहुंचा एक बूंद पानी

Monday, April 24, 2023

/ by Today Warta



राजीव कुमार जैन रानू

हैण्डपम्पों से पानी निकालना हुआ बंद, मचा हा-हाकार

ग्रामीणों ने मुख्यमंत्री को पत्र भेजकर उठायी समस्या निस्तारण की मांग

ललितपुर। बांसी- हर्षपुर पेयजल योजना से जुड़े 36 गांवों को 6 माह में एक बूंद पानी नहीं मिला है। सरकार के 50 करोड़ की लागत से बनी यह योजना अधिकारियों की अकर्मण्यता से सफेद हाथी बन गयी है। इस प्रकार के आरोप लगाते हुये कस्बा बांसी निवासी पत्रकार सुदामा प्रसाद दुबे के नेतृत्व में अनेकों ग्रामीणों ने लामबंद होकर एक पत्र प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को भेजते हुये कार्यवाही की मांग उठायी है।

पत्र में पत्रकार सुदामा प्रसाद दुबे ने बताया कि जनपद ललितपुर के जखौरा व तालबेहट ब्लाक की 12 ग्राम पंचायत के करीब 36 गांवों के हजारों लोगों की प्यास बुझाने के लिए करीब 50 करोड़ों की लागत से बांसी- हर्षपुर पेयजल योजना बनायी गयी है। इस योजना को शुरु हुए 4 वर्ष हो गये हैं। इसके बाबजूद इस योजना से जोड़े गए सभी गांव में आज तक पानी नहीं पंहुच सका है और विगत 6 माह से तो किसी भी गांव में एक बूंद पानी नहीं पंहुचा है। राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल योजनान्तर्गत से  बांसी- हर्षपुर पेयजल योजना बनी है। इस योजना से जुड़े गांवों में पानी की टंकी का निर्माण हुआ और पाइप लाइन डालकर वर्ष 2018-19 में इस योजना को पूर्ण करते हुई पेयजल आपूर्ति की शुरुआत कर दी गई। इस योजना के तहत शहजाद बांध के पास बरी गांव में सी.पी.टैंक बना है, जहां से तेरई गांव में बने फिल्टर टैंक तक पानी पहुंचाया जाता है। इसके बाद तेरई फिल्टर टैंक द्वारा इस योजना से जुड़े गांवों में बने ओवर हैड तक पानी पंहुचया जाता है, लेकिन बरी में बने सी.पी.टैंक पर लगे विद्युत उपकरण और मोटर छह माह से खराब है जिससे पिछले छह माह से एक भी गाँव में एक बूंद पानी नहीं पंहुच सका है। इस भीषण गर्मी में जहाँ गांवों में हैंडपम्पों से पानी नहीं निकल रहा है जिससे गांव वासी एक एक बूंद पानी के लिए तरस है ऐसे अधिकारियों की कान पर जूं तक नहीं रैंग रहा है। सरकार भले ही कितना ही धन खर्च कर ले और कोई भी बड़ी योजना बना लें, लेकिन उसका क्रियान्वयन करने वाली सरकारी मशीनरी में बैठे अधिकारी यदि गम्भीरता नहीं दिखाते है तो उसका हश्र बांसी-हर्षपुर  पेयजल योजना जैसा ही होता है। कागजों में भले ही सरकारी आंकड़े पानी सप्लाई कुछ भी दर्शा रहे हों लेकिन कितने गांव को कितने दिन पानी नसीब हुआ इसकी तसदीक गांव वासियों से की जाती सकती है।

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