वाराणसी। रामलला की जन्मभूमि अयोध्या के साथ ही महादेव की नगरी काशी को सोलर सिटी के रूप के विकसित किया जाएगा। शहर की गलियां, सड़कें, चौराहे और प्रमुख प्रतिष्ठान आदि सोलर लाइट से रोशन होंगे। बिजली खपत कम करने की यह योजना सफल हुई तो अपना बनारस देश में नजीर पेश करेगा। दुनिया की सबसे प्राचीन नगरी काशी आने वाले दिनों में सौर ऊर्जा से जगमगाएगी। गंगा घाट से लेकर शहर के चौराहों और गलियों को सौर ऊर्जा आधारित प्रकाश व्यवस्था से लैस किया जाएगा। इसके साथ ही गंगा में सोलर बोट और सड़कों पर सौर ऊर्जा आधारित ई रिक्शा के भी संचालन की तैयारी है। गैर परंपरागत ऊर्जा विकास एजेंसी (नेडा) ने वाराणसी नगर निगम से सोलर सिटी के लिए प्रस्ताव मांगा है। नगर निगम की कार्ययोजना के अनुसार शासन नेडा को बजट मुहैया कराएगा। उम्मीद है कि निकाय चुनाव के बाद इस योजना पर काम शुरू हो। रामलला की जन्मभूमि अयोध्या के साथ ही महादेव की नगरी काशी को सोलर सिटी के रूप के विकसित किया जाएगा। शहर की गलियां, सड़कें, चौराहे और प्रमुख प्रतिष्ठान आदि सोलर लाइट से रोशन होंगे। बिजली खपत कम करने की यह योजना सफल हुई तो अपना बनारस देश में नजीर पेश करेगा। पहले चरण में यूपी नेडा ने शहर की बिजली खपत के 10 फीसदी भाग को सौर ऊर्जा आधारित करेगा। इसके बाद अगले तीन चरणों में इसे 50 फीसदी तक पहुंचाया जाएगा। केरल की तर्ज पर वाराणसी में जल परिवहन को बढ़ावा देने के लिए सितंबर महीने से सोलर बोट का संचालन शुरू किया जाएगा। रविदास घाट से नमो घाट तक चलने वाली सोलर बोट का पड़ाव काशी विश्वनाथ धाम घाट होगा। पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप के तहत संचालित होने वाली इस सेवा में सैलानियों को अलग अनुभव होगा। ऐसे ही शहर में ई रिक्शा को भी सोलर आधारित बनाने की योजना पर काम किया जा रहा है। योजना के तहत बनारस को सोलर सिटी के तौर पर विकसित किया जाएगा। प्रदेश सरकार ने गैर ऊर्जा स्रोतों से बिजली उत्पादन को बढ़ाने पर जोर दिया है। साथ ही पांच वर्षों में 22 हजार मेगावाट उत्पादन क्षमता हासिल करने का लक्ष्य है। सोलर सिटी के रूप काशी को विकसित करने के लिए चार चरणों में योजना बनाई गई है। पायलट प्रोजेक्ट के रूप में भेलूपुर में 250 एमएलडी क्षमता के वाटर ट्रीटमेंट प्लांट को सोलर से संचालित किया जा रहा है। यहां 17.24 करोड़ रुपये से तैयार दो मेगावाट के सोलर पावर प्लांट से जलकल विभाग प्रतिमाह 90 लाख रुपये की बचत कर रहा है। पहले इस प्लांट के संचालन में प्रतिमाह औसतन 90 लाख रुपये का बिजली बिल जमा कराया जाता था।