करारी के मुश्ताक़ हैदर के अज़ाखाने में आयोजित हुई मजलिस, बरामद हुआ अली अकबर का ताबूत
कौशाम्बी। माहे सफ़र की पांच तारीख को अज़ादारों ने अहले हरम के लुटे क़ाफ़िले की याद में लगातार मजलिसो मातम का सिलसिला जारी है। सुबह से लेकर शाम तक पुरूष और महिलाएं आंसू बहा कर अपनी मोहब्बत का इज़हार करते नज़र आरहे हैं। नगर पंचायत करारी के मुश्ताक़ हैदर के अज़ाखाने में इस सिलसिले की मजलिस आयोजित की गई, जहां मजलिस के हज़रत अली अकबर का ताबूत बरामद किया गया।
शनिवार की रात करारी कस्बे के नयागंज वार्ड स्थित मुश्ताक़ हैदर के अज़ाखाने में इमाम हुसैन के नवजवान बेटे हज़रत अली अकबर की याद में मजलिस का आयोजन किया गया। इसकी शुरुआत सोज़ख़्वानी से मज़हर रहीमपुरी ने किया। कार्यक्रम का संचालन रौशन करारवी ने किया। मजलिस को मौलाना सैयद मोहतशिम हैदर ने खेताब किया। उन्होंने कहा कि इमाम हुसैन से मोहब्बत करने का मतलब सिर्फ यह नहीं है कि आप मजलिसो मातम कर आंसू बहाएं बल्कि अगर इमाम हुसैन से मोहब्बत है तो शहादत ए मकसदे हुसैन को अपनाना होगा। मसायब पढ़े तो हर आंख अली अकबर को याद कर भर आई। ताबूत बरामद हुआ अज़ादारों ने ताबूत की ज़्यारत की। अंजुमने अब्बासिया के नौहाख्वान ने नौहा पढ़ा। दूसरा नौहा तंज़ीम ने पढ़ा--अकबर के कलेजे से सेनां कैसे निकालूं-अब्बास चले आव की भैया है अकेला। इस नौहे पर अज़ादारों ने दिल खोलकर मातम किया। आख़िरी नौहा शराफत हुसैन ने। इसके बाद जुलूस अज़ाखाने पहुंच कर समाप्त हो गया।