मूर्ति बनाने वाले कलाकारों में इस बार देखने को मिल रहा है गजब का उत्साह, नवरात्रि के लिए मूर्तियों की बुकिंग से खुश है कलाकार
कौशाम्बी। दुर्गा पूजा के पंडालों में स्थापित की जाने वाली मां दुर्गा की मूर्तियों को कलाकार अंतिम रूप देने में जुट गए हैं। मूर्तियों में साज-सज्जा का काम चल रहा है। 2 साल से कोरोना की मार झेल रहे मूर्ति बनाने वालों में इस बार काफी उत्साह देखने को मिल रहा है कलाकारों का कहना है कि मूर्ति की बुकिंग पहले से शुरू हो गई है इससे वह उत्साहित हैं। पिछले 2 सालों से कोरोना महामारी के चलते प्रदेश सरकार ने मूर्तियां स्थापित करने पर रोक लगा दी थी। हालांकि पिछली बार छोटी-छोटी मूर्तियां लगाने के आदेश थे लेकिन उनसे उनके रोजी-रोटी पर संकट आ गया था। लेकिन अबकी बार इस तरह की कोई पाबंदी नहीं है 26 सितंबर को नवरात्रि का पर्व शुरू हो रहा है। इस लिए कलाकार मूर्ति को अंतिम रूप देने में जुट गए हैं।
विकासखंड कौशांबी व सरसवां क्षेत्र में मूर्ति स्थापित करने वाले भक्तगण इनके पास पहुंचकर पहले से ही मूर्ति की बुकिंग शुरू कर दिया है। मूर्तिकार राम नारायण मौर्या का कहना है कि पिछले 2 साल से उनका धंधा पूरी तरह से बंद हो गया था हलांकि पिछली बार छोटी-छोटी मूर्तियां बनाकर बेंची गई थी। लेकिन कमाई नहीं हो सकी। जिससे रोजी-रोटी पर संकट खड़ा हो गया था इस बार जिंदगी फिर से पटरी पर लौटी है। वहीं कुछ कलाकारों का मानना है कि कड़ी मेहनत के बावजूद भी हमें मनमाफिक रकम मिलने की गुंजाइश नहीं दिख रही है क्योंकि इन 2 सालों में महंगाई भी बहुत ज्यादा बढ़ गई है। और भक्तगण आज भी पुरानी ही कीमत दे रहे हैं। मूर्तिकार रामनारायण ने बताया कि पिछले सात सालों से वह यहीं मूर्ति बना कर बेंचते हैं।
भगवान की मूर्ति से लेकर पोशाक पर भी महंगाई की मार
कौशाम्बी। मूर्तिकार राम नारायण मौर्य ने बताया कि मूर्तियों को तैयार करने में उपयोग आने वाली कच्ची सामग्रियों की कीमतें बढ़ी है वह हर वर्ष मां दुर्गा गणेश समेत अन्य देवी-देवताओं की मूर्तियां बनाते हैं। इस वर्ष मूर्ति की कीमत में लगभग 10 फीसद की बढ़ोतरी हुई है। मूर्ति निर्माण सामग्री रस्सी, लकड़ी का बत्ता, बांस,अस्त्र, श्रृंगार का सामान,पोशाक, इमली का पाउडर,मिट्टी, पैरा, पेंट व मजदूरी में बढ़ोतरी हुई है। जिसके कारण मूर्ति की कीमत पर भी असर पड़ेगा प्रमुख रूप से रंग, अस्त्र व सिंगार का सामान,पोशाक व रंगीन कपड़े आदि की कीमतों में काफी इजाफा हुआ है। साथ ही पहले निर्माण सामग्री यही मिल जाती थी लेकिन अब मूर्ति निर्माण के लिए सामग्री को बाहर से मंगाना पड़ता है इसलिए मूर्तियों की कीमत में भी इजाफा करना पड़ता है हर साल लगातार इनकी कीमतें बढ़ती जा रही हैं।