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इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला: बिना आपराधिक केस दर्ज हुए भी हो सकती है गैंग्स्टर एक्ट की कार्यवाही

Friday, September 16, 2022

/ by Today Warta



राकेश केसरी
प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट से बड़ी खबर। बिना आपराधिक केस दर्ज हुए भी हो सकती है गैंग्स्टर एक्ट की कार्यवाही। आरोपी के क्रियाकलाप से तय होगा गैंग है या नहीं। कोर्ट ने कहा कि अभियोग कार्यवाही के लिए यह जरूरी नहीं है कि कोई एफआईआर दर्ज हो और गिरोह चार्ट बनी हो, कोर्ट ने कहा भले ही डर से कोई प्राथमिकी दर्ज कराने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा हो। अपराधी के क्रियाकलाप गिरोह की परिभाषा में आ रहे हो तो बिना किसी केस दर्ज हुए गिरोह बंद कानून के तहत अभियोग की कार्यवाही की जा सकती है। कोर्ट ने कहा प्रश्नगत मामले में सामूहिक दुष्कर्म किया गया। एफआईआर दर्ज न करने की धमकी दी गई। इतनी दहशत फैलाई कि प्राथमिकी दर्ज नहीं हो सकी। कोर्ट ने कहा ऐसे अपराध के लिए गिरोह बंद कानून के तहत कार्यवाही सही है। कहा आरोपियों ने लोक व्यवस्था अस्त व्यस्त की। समाज विरोधी गतिविधियों में लिप्त होकर भय का माहौल बनाया। कोर्ट ने दर्ज आपराधिक मामले में हस्तक्षेप करने से इंकार कर दिया। 14 सितंबर हिंदी दिवस के अवसर पर हिंदी भाषा में फैसला सुनाया। कोर्ट ने याची इरफान व फहीम की याचिका खारिज कर दी। इनके खिलाफ रामपुर के कोतवाली में एफआईआर दर्ज है। दोनों आरोपी ग्राम टांडा खेड़ा, अजीमनगर रामपुर के निवासी हैं। दोनों अपराधों में लिप्त हैं। गैंग बनाकर अपराध करते हैं और दहशत फैला रखी है। जस्टिस सौरभ श्याम शमशेरी की सिंगल बेंच ने आदेश दिया।: इलाहाबाद हाईकोर्ट से बड़ी खबर। बिना आपराधिक केस दर्ज हुए भी हो सकती है गैंग्स्टर एक्ट की कार्यवाही। आरोपी के क्रियाकलाप से तय होगा गैंग है या नहीं। कोर्ट ने कहा कि अभियोग कार्यवाही के लिए यह जरूरी नहीं है कि कोई एफआईआर दर्ज हो और गिरोह चार्ट बनी हो, कोर्ट ने कहा भले ही डर से कोई प्राथमिकी दर्ज कराने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा हो। अपराधी के क्रियाकलाप गिरोह की परिभाषा में आ रहे हो तो बिना किसी केस दर्ज हुए गिरोह बंद कानून के तहत अभियोग की कार्यवाही की जा सकती है। कोर्ट ने कहा प्रश्नगत मामले में सामूहिक दुष्कर्म किया गया। एफआईआर दर्ज न करने की धमकी दी गई। इतनी दहशत फैलाई कि प्राथमिकी दर्ज नहीं हो सकी। कोर्ट ने कहा ऐसे अपराध के लिए गिरोह बंद कानून के तहत कार्यवाही सही है। कहा आरोपियों ने लोक व्यवस्था अस्त व्यस्त की। समाज विरोधी गतिविधियों में लिप्त होकर भय का माहौल बनाया। कोर्ट ने दर्ज आपराधिक मामले में हस्तक्षेप करने से इंकार कर दिया। 14 सितंबर हिंदी दिवस के अवसर पर हिंदी भाषा में फैसला सुनाया। कोर्ट ने याची इरफान व फहीम की याचिका खारिज कर दी। इनके खिलाफ रामपुर के कोतवाली में एफआईआर दर्ज है। दोनों आरोपी ग्राम टांडा खेड़ा, अजीमनगर रामपुर के निवासी हैं। दोनों अपराधों में लिप्त हैं। गैंग बनाकर अपराध करते हैं और दहशत फैला रखी है। जस्टिस सौरभ श्याम शमशेरी की सिंगल बेंच ने आदेश दिया।

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