मुख्यमंत्री को संबोधित ज्ञापन अतिरिक्त मजिस्ट्रेट को सौंपा
कौशाम्बी। शिक्षामित्र करीब 22 साल से बेसिक शिक्षा विभाग में सेवा दे रहे हैं। इसके बाद भी आज तक उनका मानदेय इतना नहीं हो सका कि वह परिवार का भरण पोषण ठीक से कर सकें। इतना ही नहीं मेडिकल अवकाश, बीमा व शिक्षकों की तरह मिलने वाले अवकाश की सुविधा भी उन्हें नहीं दी जा रही है। इन समस्याओं को लेकर शिक्षामित्रों ने शिक्षक दिवस पर अपनी आवाज उठाई। मुख्यमंत्री को संबोधित ज्ञापन अतिरिक्त मजिस्ट्रेट राजेश श्रीवास्तव को देकर समस्याओं के निराकरण की मांग की गई है। प्राथमिक शिक्षामित्र संघ के जिलाध्यक्ष रत्नाकर सिंह ने अतिरिक्त मजिस्ट्रेट को ज्ञापन देते हुए कहा कि शिक्षामित्र स्नातक व बीटीसी उत्तीर्ण हैं। करीब 22 साल से वह शिक्षा विभाग को सेवा दे रहे हैं। शिक्षकों के सम्मान में तमाम कार्यक्रम आयोजित हो रहे हैं। इसके बाद भी शिक्षामित्र अपनी मूल आवश्यकता को पूरा नहीं कर पा रहे हैं। उनको इस महगांई में मात्र 10 हजार रुपये मानदेय के रूप में मिल रहा है। इससे परिवार की जरूरत नहीं पूरी होती है। बताया कि शिक्षमित्रों को सम्मान देने के लिए सरकार को उनके लिए योजनाएं बनानी चाहिए। बताया कि आर्थिक व मानसिक रूप से परेशान होकर करीब पांच हजार शिक्षामित्रों ने मौत को गले लगाया है। उन्होंने शिक्षामित्रों को शिक्षकों की तरह 12 माह के लिए कम से कम 40 हजार का वेतन और 62 साल की सेवा, महिला शिक्षामित्रों को उनकी ससुराल के निकट के विद्यालय में तैनाती, पुरुष शिक्षामित्रों को मूल विद्यालय में वापसी, शिक्षकों की भांति मेडिकल अवकाश की सुविधा, बीमा योजना, एक जनवरी से 31 दिसंबर तक शिक्षामित्रों के लिए भी अवकाश मान्य किया जाए। इस मौके पर इरशाद अहमद, विजय बहादुर, रामरूप, सबा बेगम, रंजना सोनकर, सुमित्रा देवी, गुलाम मुस्तफा, कल्पना त्रिपाठी, सादमा खातून, आशाकांत शुक्ला, राम प्रसाद, सुमन त्रिपाठी, माया देवी, उदय यादव, इरफान अहमद व विजय बहादुर आदि मौजूद रहे।