कौशाम्बी। पैसा बोलता नहीं,बोलवा देता है। जी हां,जिसका सिक्का नहीं चलता वह परेशान होकर अपनी बात कहता है। जबकि,पैसे वाले कुछ लोग जरा सी लापरवाही में अपनी दौलत से हाथ धो बैठते हैं। फिर लुट.पिटकर दर्द बयां करते हैं। यानी पैसा दोनों ही सूरत में बोलवाता है। कुछ दिनों से ऐसे मामले तेजी से सामने आ रहे हैं। गांव.शहर.कस्बा हर जगह एक रुपये का सिक्का बवाल.ए.जान बन गया है। जिसके पास है,वह गठरी लेकर भटक रहे हैं। मगर लेने से दुकानदार बच रहे हैं। इधर साइबर क्राइम में भी तेजी आई है। बैंक के भीतर से भी ठगी हो रही है। दरअसल,दोनों ही मामलों में वही लोग फंस रहे हैं,जिन्हें अपने अधिकारों की मुकम्मल जानकारी नहीं है। रुपयों की निकासी और जमा करने के वक्त लापरवाह रहते हैं। प्रयाग भारत ऐसे कुछ मामले उठाकर लोगो को सजग कर रहा है। गौरतलब हो कि बीते वर्ष दस रुपये के सिक्के को नकली बताकर दुकानदारों ने लेना बंद कर दिया था। इसको लेकर आए दिन दुकानों पर लोगों की किचकिच होती थी। इस बार बाजारों में एक रुपये के छोटे सिक्के को नकली बताया जा रहा है। दुकानदार उसे भी लेने से इंकार कर रहे है। इससे फुटकर की समस्या खड़ी हो गई है। यह समस्या शहर ही नहीं तहसील,कस्बा और गांवों में भी बढ़ गई है। दुकानदार और ग्राहकों के बीच आए दिन कहासुनी हो रही है,लेकिन प्रशासन इस ओर से आंखें मूंदे हुए हैं।