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देश में PFI पर 5 साल का बैन

Wednesday, September 28, 2022

/ by Today Warta



सरकार बोली- इनकी गतिविधियां सुरक्षा को खतरा, कांग्रेस सांसद बोले- फरर भी बैन हो

केंद्र सरकार ने बुधवार सुबह पॉपुलर फ्रंट आॅफ इंडिया, यानी पीएफआई को 5 साल के लिए बैन कर दिया। पीएफआई के अलावा 8 और संगठनों पर कार्रवाई की गई है। गृह मंत्रालय ने इन संगठनों को बैन करने का नोटिफिकेशन जारी किया है। इन सभी के खिलाफ टेरर लिंक के सबूत मिले हैं। केंद्र सरकार ने यह एक्शन अनलॉफुल एक्टिविटी प्रिवेंशन एक्ट के तहत लिया है। सरकार ने कहा, पीएफआई और उससे जुड़े संगठनों की गतिविधियां देश की सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा हैं। सरकार के कदम पर केंद्रीय पंचायती राज मंत्री गिरिराज ने सिंह ने ट्वीट किया- बाय-बाय पीएफआई... इसके बाद केरल के कांग्रेस सांसद के सुरेश ने कहा कि आरएसएस पर भी पीएफआई की तरह बैन लगना चाहिए, क्योंकि दोनों संगठनों का काम तो एक जैसा है।

पीएफआई जुड़े इन संगठनों पर भी प्रतिबंध

1. रिहैब इंडिया फाउंडेशन 

2. कैंपस फ्रंट आॅफ इंडिया 

3. आॅल इंडिया इमाम काउंसिल

4. नेशनल कॉन्फेडरेशन आॅफ ह्यूमन राइट्स आॅर्गनाइजेशन 

5. नेशनल विमेन्स फ्रंट

6. जूनियर फ्रंट

7. एम्पावर इंडिया फाउंडेशन

8. रिहैब फाउंडेशन

बैन लगाने का बेस और आरोप

केंद्र सरकार यूएपीए के तहत पीएफआई और उससे जुड़े 8 संगठनों पर 5 साल का प्रतिबंध लगा रही है। ये कदम एजेंसियों की जांच के बाद उठाया जा रहा है। पीएफआईऔर इससे जुड़े संगठन देश में आतंकवाद का समर्थन कर रहे हैं।

पीएफआई से खतरा

पीएफआईऔर इससे जुड़े संगठन गैरकानूनी गतिविधियों को अंजाम दे रहे थे। ये गतिविधियां देश की एकता, अखंडता और सुरक्षा के लिए खतरा हैं। इनकी गतिविधियां भी देश की शांति और धार्मिक सद्भाव के लिए खतरा बन सकती हैं। ये संगठन चुपके-चुपके देश के एक तबके में यह भावना जगा रहा था कि देश में असुरक्षा है और इसके जरिए वो कट्टरपंथ को बढ़ावा दे रहा था।

पीएफआई का सीक्रेट एजेंडा

क्रिमिनल और टेरर केसेस से जाहिर है कि इस संगठन ने देश की संवैधानिक शक्ति के प्रति असम्मान दिखाया है। बाहर से मिल रही फंडिंग और वैचारिक समर्थन के चलते यह देश की आतंरिक सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा बन गया है। ढऋक खुले तौर पर तो सोशियो-इकोनॉमिक, एजुकेशनल और पॉलिटिकल आॅर्गनाइजेशन है पर ये समाज के खास वर्ग को कट्टरपंथी बनाने के अपने सीक्रेट एजेंडा पर काम कर रहा है। ये देश के लोकतंत्र को दरकिनार कर रहा है। ये संवैधानिक ढांचे का सम्मान नहीं कर रहा है।

पीएफआईकी मजबूती की वजह

पीएफआई ने अपने सहयोगी और फ्रंट बनाए, इसका मकसद समाज में युवाओं, छात्रों, महिलाओं, इमामों, वकीलों और कमजोर वर्गों के बीच पैठ बढ़ाना था। इस पैठ बढ़ाने के पीछे पीएफआईका एकमात्र लक्ष्य अपनी मेंबरशिप, प्रभाव और फंड जुटाने की क्षमता को बढ़ाना था। इन संगठनों की बड़े पैमाने पर पहुंच और फंड जुटाने की क्षमता का इस्तेमाल पीएफआई ने अपनी गैरकानूनी गतिविधियां बढ़ाने में किया। यही सहयोगी संगठन और फ्रंट्स पीएफआई की जड़ों को मजबूत करते रहे।

पीएफआई की फंडिंग और उस पर एक्शन

बैंकिंग चैनल्स, हवाला और डोनेशन आदि के जरिए ढऋक और इससे जुड़े संगठनों के लोगों ने भारत और विदेशों से फंड इकट्ठा किया। यह उनके सुनियोजित आपराधिक षडयंत्र का ही एक हिस्सा था। इस फंड के छोटे-छोटे हिस्सों को कई एकाउंट्स में ट्रांसफर किया गया और ऐसा दिखलाया गया कि यह लीगल फंड है। लेकिन, इसका इस्तेमाल आपराधिक, गैरकानूनी और आतंकवादी गतिविधियों में किया गया।

पीएफआईकी ओर से जिन जरियों से बैंक अकाउंट्स में पैसा ट्रांसफर किया गया, वह अकाउंट होल्डर के प्रोफाइल से भी मैच नहीं करता। इस फंड के जरिए पीएफआई जिन गतिविधियों को अंजाम देने का दावा करता है, वह भी नहीं किया गया। इसके बाद इनकम टैक्स ने पीएफआई और रेहाब इंडिया फाउंडेशन का रजिस्ट्रेशन कैंसल कर दिया। उत्तर प्रदेश, कर्नाटक और गुजरात सरकार ने भी पीएफआई को बैन करने की सिफारिश की थी।

पीएफआई का इंटरनेशनल कनेक्शन

कई ऐसी घटनाएं सामने आई हैं, जिनमें सबूत मिला है कि पीएफआई के मेंबर्स के संबंध ग्लोबल टेररिस्ट ग्रुप्स से हैं। संगठन के मेंबर्स ने ईराक, सीरिया और अफगानिस्तान में आईएसआईएस जॉइन किया। कई मुठभेड़ों में मारे गए। कई मेंबर्स की गिरफ्तारी हुई। देश में भी राज्यों की पुलिस और केंद्रीय एजेंसियों ने मेंबर्स को अरेस्ट किया। पीएफआई के कुछ फाउंडिंग मेंबर्स रकटक के लीडर्स थे। इसके संबंध जमात-उल-मुजाहिदीन बांग्लादेश से थे। ये दोनों प्रतिबंधित संगठन हैं।

पीएफआई की क्रिमिनल और टेरर एक्टिविटी

कई केसों की जांच में सामने आा है कि पीएफआई और इसके काडर बार-बार हिंसक और विनाशकारी गतिविधियों को दोहराते रहे। पीएफआई द्वारा किए गए अपराधों में प्रोफेसर का हाथ काटना, दूसरे धर्मों को मानने वाले लोगों की हत्याएं, बड़ी हस्तियों और जगहों को निशाना बनाने के लिए विस्फोटक जुटाना और पब्लिक प्रॉपर्टी का नुकसान करना शामिल हैं। संजीत (2012 केरल), वी रामलिंगम (2019 तमिलनाडु), नंदू (2021 केरल), अभिमन्यु (2018 केरल), बिबिन (2017 केरल), शरथ (2017 कर्नाटक), आर रुद्रेश (2016 कर्नाटक), प्रवीण पुयारी (2016 कर्नाटक), शशि कुमार (2016 तमिलनाडु) और प्रवीण नेट्टारू (2022 कर्नाटक).... पीएफआई इन सभी के मर्डर में शामिल रहा।


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