एआरटीओ से जो नही कराता है इन्ट्री,उनके वाहन ओवरलोड में होते है सीज
थानेदार सहित जिम्मेंदार भी बालू के ओवरलोड वाहनो से वसूलते है माहवारी
राकेश केशरी
कौशाम्बी। नये केन्द्रीय परिवाहन नियम 2018 के तहत ओवरलोडिंग पर अकुश लगाने के लिये सभी राज्यो को सख्ती बरतने के निर्देश दिये है। वही परिवाहन आयुक्त ने नये नियमो को पालन करने के लिये प्रदेश के सभी जिलो मे तैनात आरटीओ, एआरटीओ को कडाई से पालन करने का निर्देश दिया है। लेकिन कौशाम्बी जिले में सरकार के बनाये नियम कानून नही चलते बल्कि एआरटीओ के बनाये गये नियम से बालू के हजारो ओवरलोड ट्रक रोजाना पास हो रहे है। जिससे जिले में करोडो की लागत से बनाई गई दर्जनो सडके खस्ताहाल हो चुकी है। गौरतलब हो कि केन्द्र सरकार के परिवाहन मंत्रालय ने वर्ष 2018 में सडको की सुरक्षा व बढती दुर्घटनाओ को लेकर देश भर में ओवरलोड को लेकर कडे नियम बनाये है। वही कौशाम्बी जिले में एआरटीओ व बालू माफिया एंव ट्रांसपोटरो की सांठगाठ से यमुना नदी से निकलनें वाली बालू हजारो ट्रक,डंफर,ट्रैक्टर ओवरलोड लादकर जिले की सीमा को पास कर गैरजनपदो को जा रहे है। इसके पीछे इस तिकडी का जो खेल है,उससे एक तरफ सरकार को प्रतिदिन जहां लाखो के राजस्व का नुकनान हो रहा है। वही राज्य सरकार के उपक्रम पीडब्लूडी,प्रधानमंत्री सडक योजना,नेशनल हाइवें अथारिटी के द्वारा करोडो की लागत से बनाई गई सडके खस्ताहाल होती जा रही है। सू़त्र बताते है कि बालू माफिया व ट्रांसपोटर अधिक मुनाफा कमाने के चक्कर में एआरटीओ को प्रति ओवरलोड वाहन 5000 हजार रूपये की माहवारी सुविधा शुल्क देते है। सूत्रों के मुताबिक इस सुविधा शुल्क की एआरटीओ का कारखास अपने निजी डायरी में वाहनो के नम्बर सहित इन्ट्री दर्ज रखते है। इसी तरह क्षेत्र के थानेदार,चैकी इंचार्ज भी अपने-अपने क्षेत्र से गुजरने वाले बालू के ओवरलोड वाहनो से 3000 हजार रूपये कि सुविधा शुल्क वसूलते है। वही यदा-कदा दिखावे के लिये जिन वाहनो कि इन्ट्री एआरटीओ व पुलिस थानो में दर्ज नही होती उनको चालान करके सीज कर दिया जाता है।
शासन के फरमान को हवा में उडा रहे अधिकारी
खनन विभाग ने बालू-मौरंग सहित अन्य उपखनिजों की ओवरलोडिंग और अवैध खनन पर सख्ती के लिए फरमान जारी किया है। हालांकि खनन मालिकों की अवैध वसूली पर अंकुश नहीं लग पाने से ट्रांसपोर्टर मुनाफा कमाने के लिए ओवरलोडिंग कर रहे हैं। बतां दें कि खनन निदेशक ने इस संबंध में सूबे के सभी डीएम को एक आदेश जारी करते हुए खनिजों के ओवर लोडिंग पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी है। खनन क्षेत्रों में निर्धारित मात्रा से अधिक उपखनिज लदे हुए वाहनों के पाये जाने पर संबंधित पट्टाधारकों एवं ट्रांसपोर्टरों को बराबर का दोषी मानते हुए उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। पट्टाधारक यदि इन आदेशों का पालन नहीं करते, तो उनसे जुर्माना वसूली के साथ संबंधित वाहन का परमिट भी निरस्त किया जाए। खनन निदेशक ने जिलाधिकारी को भेजे गये अपने आदेश में कहा कि ओवरलोडिंग से न केवल राज्य की सड़कें खराब हो रही हैं बल्कि राजस्व का भी नुकसान हो रहा है। उन्होंने संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिये हैं कि अवैध खनन पर खनिज मूल्य की वसूली के साथ खनन क्षेत्रों की पैमाइश भी करायी जाये। उन्होंने पर्यावरण स्वच्छता प्रमाण पत्र में दर्ज वार्षिक मात्रा से अधिक मात्रा पाये जाने पर खनन पट्टाधारक का उस वर्ष की शेष अवधि के लिए खनन को पूरी तरह प्रतिबंधित करने को कहा है। वही जिले के अफसर इस माहौल में भी खोखला दावा कर रहे है कि ओवरलोडिंग पाए जाने पर ट्रकों के साथ ही खदान पट्टाधारकों एंव डंप धारको के खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी।
टोल प्लाजा में नियमो का नही हो रहा पालन
टोल प्लाजा से ओवरलोड वाहन निकालने पर भी जिले में अंकुश नही है। जबकि परिवहन निगम ने इसके लिए ई-चालान की सुविधा की है। इसके तहत मौके से निकल भागने वाले वाहनों के रजिस्ट्रेशन नंबर के आधार पर उनके इलाके के आरटीओ के मार्फत चालान घर भेजे जाने का निर्देश है। इस काम में कोई लापरवाही न हो इसलिए लखनऊ मुख्यालय को रोजाना रिपोर्ट भेजनी होगी। जिसमें वाहन के रजिस्ट्रेशन नंबर, किस टोल प्लाजा से गाड़ी कितने बजे निकली, इस बात का जिक्र भी होना जरूरी है।
टोल प्लाजा पर भी बालू माफियाओ की सेटिंग
जिले में एक टोल प्लाजा हैं। कोखराज थाना क्षेत्र के गंगा नदी से पहले सिहोरी गांव के पास दिल्ली,कलकत्ता हाइवें पर स्थित है। इस टोल प्लाजा पर भी बालू माफियाओ ने सेटिंग कर रखी है, जिससे ओवरलोड बालू वाहन निकलने पर रीडिंग नही आती। जबकि नियम यह है कि ओवरलोड वाहन टोल प्लाजा पर पास होते ही रीडिंग आ जानी चाहिये,इसके बाद गाड़ी को वेट ब्रिज से निकलवाकर चालान की कार्रवाई होनी चाहिये। लेकिन सरकार कि इस नई व्यवस्था के तहत भी टोल प्लाजा पर सेटिंग के खेल में भारी है।
दस गुना है ओवरलोड पाए जाने पर जुर्माना
हर टोल प्लाजा पर व्यवसायिक वाहन के अनुसार शुल्क वसूला जाता है। अगर वाहन पर तय क्षमता से ज्यादा भार मिलता है तो तय शुल्क से दस गुना जुर्माना वसूलने का प्रावधान है। मसलन, कोई कामर्शियल वाहन टोल प्लाजा से 600 रुपये शुल्क देकर निकलता है तो ओवरलोड होने पर 600 रुपये के अलावा छह हजार रुपये बतौर जुर्माना जमा कराने होंगे।
इलाकाई आरटीओ के खाते में जाएगा चालान का शुल्क
अगर जिले के टोल प्लाजा पर ओवरलोड किसी और जिले की गाड़ी बिना जुर्माना दिए निकलती है तो रजिस्ट्रेशन नंबर के आधार पर उस जिले के आरटीओ को ई-चार्जशीट भेजी जाएगी। इससे पूरी जानकारी हासिल कर जुर्माना वसूला जाएगा। मिलने वाला जुर्माना उस जिले के ही आरटीओ के खाते में जाएगा, जहां की गाड़ी होगी। लेकिन यहा यह कहावत बालू माफियाओ व ट्रांन्सपोटरो के लिये फिट बैठ रही है कि जब सैइया भये कोतवाल,तो डर काहे का।
पासरो का खेल,जिला प्रशासन फेल
बालू व गिट्टी के ओवरलोडिंग के इस खेल में पासरो ने ऐसा जाल बिछाया कि जिला प्रशासन ओवरलोडिंग रोकने में बिल्कुल नाकाम होकर रह गया है। पासर दावा ठोक-कर इस बात का ऐलान करते है,कि उनकी सेटिंग थाना,चैकी, परिवाहन, खनन विभाग तक से है,उनकी निगरानी में ओवरलोड वाहनो को कोई छू भी नही सकता,चालान करना तो बडी बात है,इस तरीके के कई आडियो क्लीप बीते दिनो से सोशल मीडिया में खूब वायरल हो रही है,