एक सप्ताह में नहीं मिला जवाब तो होगा मुकदमा
कौशाम्बी। बिना ऋण स्वीकृत हुए अनुदान की राशि खाते में भेजने का सचिव का प्रयास विफल हो गया। गड़बड़ी पकड़ में आने से 50 हजार रुपये का गोलमाल होने से बच गया। अब खंड विकास अधिकारी ने कार्रवाई के लिए अधिकारियों को पत्र भेजा है। पत्र का संज्ञान लेते हुए जिला विकास अधिकारी ने सचिव को नोटिस जारी कर तीन दिनों में जवाब मांगा है। कार्रवाई न होने और उचित जवाब न मिलने पर खंड विकास अधिकारी ने मुकदमा दर्ज कराने के लिए कहा है। चायल में तैनात सचिव अखिलेश कुमार के पास गांव के साथ ही सहायक विकास अधिकारी पंचायत का भी चार्ज था। उन्होंने योजनाओं के संचालन में गड़बड़ी की कोशिश की। दरअसल, गरीब परिवार के बेरोजगारों को ऋण देकर रोजगार के लिए सरकार प्रोत्साहित कर रही है। डीडीओ कार्यालय से बाबा साहब आम्बेडकर रोजगार प्रोत्साहन योजना का संचालन किया जा रहा है। इस योजना में लाभार्थी को ऋण का ब्याज नहीं देना होता है। यह धनरशि सीधे उनके खाते में आती है। सचिव ने पांच लाभार्थियों की सब्सिडी स्वीकृत करते हुए बैंक में दस्तावेज भेजा था। पहाड़पुर सुधवर निवासी दिलीप कुमार पांडेय पुत्र नर्मदा प्रसाद के नाम पर भी सचिव ने 50 हजार रुपये की पत्रावली तैयार कर बैंक भेजी थी। जबकि उन्हें किसी प्रकार का ऋण स्वीकृत नहीं हुआ था। सब्सिडी की धनराशि दिलीप के खाते में आने से पहले प्रधानों ने उनकी खंड विकास अधिकारी से शिकायत कर दी। खंड विकास अधिकारी ने उनसे सहायक विकास अधिकारी का चार्ज लेकर सचिव जयसिंह को सौंप दिया। करीब एक सप्ताह से जयसिंह दस्तावेजों को देख रहे थे। इसी दौरान उनके सामने सब्सिडी का पत्र आ गया। उन्होंने ध्यान से देखा तो गड़बड़ी प्रकाश में आई। उन्होंने इसकी जानकारी खंड विकास अधिकारी विजय त्रिपाठी को दी। उन्होंने जिला विकास अधिकारी को पत्र भेजकर कार्रवाई के लिए कहा। जिला विकास अधिकारी ने सचिव के खिलाफ शुक्रवार को कारण बताओ नोटिस जारी किया। उन्होंने बताया कि किन परिस्थितियों में इस प्रकार की गलती हुई, इसकी जानकारी उनसे मांगी गई है। अन्यथा यह उनकी साजिश समझी जाएगी। वहीं, खंड विकास अधिकारी ने कहा कि सचिव उचित जवाब नहीं देते हैं तो एक सप्ताह के अंदर मुकदमा दर्ज कराया जाएगा।