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गांव में पानी की किल्लत नीलू के लिए बन गई काल

Sunday, September 11, 2022

/ by Today Warta



30 परिवारों के लिए नहीं है एक भी हैंडपंप

कौशाम्बी। फरीदपुर सलेम गांव में पेयजल के लिए एक भी हैंडपंप नहीं है। सिंचाई के लिए लगे नलकूप व प्राथमिक विद्यालय में लगा हैंडपंप ही लोगों के लिए पानी का एक मात्र माध्यम है। शनिवार की शाम तीन सगी बहनें स्कूल की टूटी बाउंड्रीवाल के रास्ते विद्यालय परिसर में लगे हैंडपंप पर पानी भरने गई थीं। हैंडपंप के समीप लटकते बिजली के तार में करंट की जद में आने तीनों बहनें झुलस गई थीं। जबकि एक बहन नीलू की मौत हो गई थी। दोनों बहनों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है। ग्रामीणों का कहना है कि गांव में पेयजल आपूर्ति की किल्लत ही छह वर्षीय बालिका के लिए काल बन गई। इसे लेकर ग्रामीणों में नाराजगी है। चरवा क्षेत्र के फरीदपुर गांव के पूरब मजरा में करीब 30 परिवारों में ढाई से तीन सौ लोग रहते हैं। इनके पेयजल के लिए गांव में कोई संसाधन नहीं है। टेंगरू, दुर्गा, साधव प्रसाद, बरन, माधव, बुधराम, विजय, राम सुरेमन, महेश, रामचंद्र आदि ने बताया कि गांव में दो अलग-अलग बने आंगनबाड़ी केंद्रों के बाहर हैंडपंप लगे हैं। दोनों हैंडपंप सालों से खराब है। ऐसे में लोगों के पेयजल के लिए परिषदीय विद्यालय में लगा हैंडपंप ही सहारा है। शनिवार की शाम करीब छह बजे मजदूर विजय कुमार की बेटियां नीलू, निशा व सरिता विद्यालय की टूटी बाउंड्रीवाल के रास्ते हैंडपंप पर पानी भरने के लिए पहुंचीं। इसी बीच हैंडपंप के समीप टूटकर झूलते तार को नीलू ने पकड़ लिया। इससे वह करंट की जद में आ गई। पास रहीं बहनें बचाव के लिए दौड़ीं तो वह भी करंट से झुलस गईं। आसपास रहे लोगों ने बिजली कटवाते हुए स्वजन और पुलिस को खबर दी। बदहवास हालत में पहुंचे स्वजन ने झुलसीं बहनों को पास के एक प्राइवेट अस्पताल लेकर पहुंचे जहां डाक्टरों ने नीलू को मृत घोषित कर दिया। ग्रामीण टेनी लाल का का कहना है कि गांव में पानी का कोई इंतजाम नहीं है। खराब हैंडपंपों को दुरुस्त कराने के लिए जिम्मेदारों से शिकायत की गई लेकिन, ध्यान नहीं दिया गया। ग्रामीण बुधराम ने बतया कि गांव के 30 परिवारों में करीब ढाई सौ लोग रहते हैं। पानी की व्यवस्था न होने से दो से तीन किमी. दूर स्थित नलकूप या फिर सरकारी स्कूल से लोग पानी भरकर अपनी प्यास बुझाते हैं। ग्रामीण बृजेश कुमार कहते है कि गांव में दो आंगनबाड़ी केंद्र हैं। जहां लगे हैंडपंप शोपीस बने हैं। छत पर पानी की टंकी रखी है लेकिन किसी काम की नहीं है। ग्रामीण शिवबरन कहते है कि पानी की समस्या की शिकायत ब्लाक स्तर तक के अधिकारियों से की गई। उसके बाद भी जलापूर्ति व्यवस्था दुरुस्त नहीं हुई। डीपीआरओ डा. बाल गोविंद श्रीवास्तव का कहना है कि गांव में पेयजल संकट की जानकारी नहीं थी। अगर ऐसा है तो सर्वे कराकर वहां पानी की व्यवस्था कराई जाएगी।

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