इन्द्रपाल सिंह 'प्रिइन्द्र'
ललितपुर। पर्यटन रत्न से सम्मानित बुन्देलखण्ड के 13 जिलों अन्तर्गत इतिहास के सुनहरें पन्नों को संजोने के लिये बाईक से साहसिक यात्रा कर सैकड़ो पुरातात्विक, ऐतिहासिक, नैसर्गिक स्थलों का देखने वाले, विरासत स्थसलों के प्रति जन जागरूकता लाने व उनके संरक्षण के लिये कई वर्षो से कार्य कर रहे पर्यटन मित्र फिरोज इकबाल डायमंड ने ऐतिहासिक स्थल देवगढ़ के बारे में विस्तार से बताते हुये कहा की यह स्थाल जैन एवं वैष्णव सम्प्रदाय की मूर्ति कला का केन्द्र रहा है। यहां जैन मंदिरों, हजारों की तादाद में जैन प्रतिमाओं के अतिरिक्त सुन्दर मान स्तम्भ, अभिलेख व शैलचित्र उत्कीर्ण है समीप ही बेतवा नदी के तट पर मौजूद बौद्ध गुफाओं में पहाडी पर उकेरी गयी शिल्पि और बौद्ध प्रतिमाऐं अत्यन्त प्राचीन है जिससे देवगढ त्रिधर्म आस्था के केन्द्र के रूप में परिलक्षित होता है। बुन्देलखण्ड में प्राप्त गुप्तकालीन प्रतिमाओं में दशावतार मंदिर ही ऐसा देवालय है जहां हमें श्रेष्ठ व कलात्मक प्रतिमाओं को देखा जा सकता है। पुरातत्व विभाग द्वारा देवगढ स्थित पुरातात्विक स्थलों के संरक्षण के लिये कार्य किया गया है परन्तु यहां विस्तृत कार्य योजना के साथ स्थ्लों के पुनरूद्धार व संरक्षण की महती आवश्ययकता है, पहाड़ी पर बेतवा रिवर व्यूव, सिद्ध घाटी, राजघाटी, नाहरघाटी, वराह मंदिर, कीर्तिगढ़ दुर्ग का परकोटा व हाथी दरवाजा परिपथ को सुद्धरण करते हुये पथ प्रदर्शक, रास्तें पर प्रकाश की उचित व्यरवस्थाव, बैठने के लिये बैंचों की व्य वस्थास, शुद्ध पेयजल, शौचालय, मुख्य मार्ग के समीप यात्री प्रतिक्षालय, नदी में नौकायन, रोपवे, बौद्ध गुफाओं तक जाने वाले मार्ग के साथ ही गुफाओं तक पहुंचने के लिये सीढिय़ों की व्यनवस्था, महावीर वन्यजीव अभ्यारण में भ्रमण व्यवस्था यहां आने वाले पर्यटकों को लुभाने के साथ ही देवगढ़ की अंतर्राष्ट्रीय ख्यााती के लिये महत्ववपूर्ण सिद्ध होगी। पुरातत्वक का धनी धौर्रा के समीप स्थित रणछोरधाम तक पहुंचने के लिये सम्प र्क मार्ग सुधार की राह तक रहा है, कमोबेश यही हाल मुचकुन्द गुफा तक पहुंचने वाले रास्तेक का है। रास्तोंम को सुद्धरण करके, पर्यटकों के बैठने व ठहरने की उत्तेम व्य वस्थाव, जलपान इत्याोदि हेतु कैफेटेरिया, बेतवा नदी के किनारे यात्री शेड व प्रकाश व्यनवस्थात यहां के पर्यटन विकास को चार चांद लगा सकती है। यहां पर जंगल सफारी की भी अपार सम्भा वनांये है। पुरातात्विक अवशेषों की द्रष्टि से अत्यान्त महत्व पूर्ण चांदपुर-जहाजपुर, नीलकंठेश्व र मंदिर पाली, दूधई, बालाबेहट स्थित पुराअवशेष एवं किला, अमझरा घाटी, मदनपुर, पांडववन, सिरोंन जी की ऐतिहासिकता व धार्मिक महत्व जनपद के पुरातत्वा का सुनहरा पृष्ठर है यहां भी पर्यटक जन सुविधाओं का घोर आभाव है। जिनका विकास पर्यटन सर्किट के विस्ता र को सफल बनाने के लिये आवश्यटक है। जनपद में सुन्दर जलप्रपात, सघन वन, नदियों एवं तालाबों के सुन्दर स्थल भी मौजूद है जहां सहज रूप से पर्यटन को विकसित किया जा सकता है, अनेकों जल प्रपात जैसे करकरावल, बंट स्थित चुवन जलप्रपात, कन्क,ददण, नाराहट के समीप चंडीमाता मंदिर जल प्रपात, अमझरा घाटी स्थित जलप्रपातों तक सुगम रास्तोंा का निर्माण, जनसुविधाओं, नदी-नालों पर पुल एवं पुलियों के निर्माण, ग्लाास स्काजई ब्रिज और सुरक्षा के समुचित इंतेजाम ललितपुर पर्यटन के लिये अहजम बिन्दुल हैं। आमतौर पर देखा गया है कि किलों को धन के लोभलालच में अत्यपधिक नुकसान पहुचायां गया है, स्थाकनीय लोगों द्वारा किलों को गंदा करने में कोई कसर नहीं छोड़ी गयी है। देवगढ़ स्थित कीर्तिगढ़ दुर्ग परिकोटा, तालबेहट किला, बालाबेहट का किला, सौरंई का किला, मड़ावरा का किला, सिरसी स्थित महन्ता जी की गढ़ी, बानपुर का किला जो ललितपुर की गौरवगाथाओं की शान है आज अपने अस्तित्वग को बचाये रखने की जददोजेहद कर रहे है। यदी समय रहते इनके जीर्णोद्वार के प्रयास न किये गये तो आगे आनी वाली पीढिय़ा इनहें सिर्फ इतिहास की किताबों में पढ़ पायेंगी। जनपद में मुख्यय स्थगलों पर पर्यटन स्थालों की जानकारी वाले होर्डिंग, पर्यटन स्थंलों पर जाने वाले रास्तों पर साईन्ने्ज, पर्यटन हेल्प डेस्कक की स्था पना, संग्राहलयों को नियमित खोला जाना, पर्यटन स्थरलों पर स्थेल की विशिटटाओं की जानकारी देने वाले बोर्ड, पर्यटकों की सुरक्षा व सहायता के प्रबन्धसन होना पर्यटन की द्रष्टि से आवश्यसक है। वीरता और त्याग, स्वाभिमान की रक्षा, सतीत्व व मोक्ष प्राप्ति में निपुण लोगों को जनपद की मिटटी में अलोकिक श्रेणी प्राप्त हुई। हमें प्राकृतिक, नैसर्गिक, ऐतिहासिक प्राचीनता को सहेजने की उत्कृष्ट कोशिशें, लोक संस्कृति, लोक कलायें, लोक सभ्यता के विषय में नये सिरे से बात करना होगी जिससे मूलतत्व अपसंस्कृति में नष्ट न हो जाये। वर्तमान परिपेक्ष में उत्तयर प्रदेश शासन द्वारा व पर्यटन विभाग द्वारा पर्यटन विकास हेतु कई योजनायें संचालित करते हुये धरोहरों के संरक्षण, पर्यटन स्थपलों के सौर्न्दृयीकरण, अनुरक्षण के लिये कार्य किया जा रहा है जो की प्रशंसनीय है, साथ ही जिलाधिकारी महोदय आलोक सिंह जी के द्वारा विरासत संरक्षण के लिये ठोस, दीर्धकालीन प्रयास किये जा रहे है जिससे आगे आने वाले दिनों में जनपद उत्तरर प्रदेश में पर्यटन के लिये जाना जायेगा। आज विश्वन पर्यटन दिवस पर हम सबको यह संकल्प लेना होगा कि हम प्राकृतिक, नैसर्गिक, पुरातात्विक धरोहरों का सम्मान करेगें और उन्हे क्षति नहीं पहुंचायेंगे। यदि आने वाली पीढिय़ों के लिये हम धरोहरों को बचाकर रख सके तो ही विश्वप पर्यटन दिवस का उददेश्यर सफल होगा।