राजेंद्र प्रसाद मिश्रा
बारा । एक ओर जहां पूर्वांचल दलित अधिकार मंच (पदम) के तत्वावधान में यमुनापार के दर्जनों गांवों के भूमिहीनो ने तहसील बारा के प्रांगण में पदम के संस्थापक उच्च न्यायालय के अधिवक्ता आईपी रामबृज के नेतृत्व में अपनी बारह सूत्रीय मांगों को लेकर जमकर प्रदर्शन किया और मांग किया कि देश मे छुआछूत मानना देशद्रोह है और संविधान के अनुच्छेद-17 का उल्लंघन है। जातिवाद, आतंकवाद है, जातिबन्दी कानून अविलम्ब बनाओ। जाति उत्पीड़क को आतंकवादी घोषित करो। एससी, एसटी एक्ट को बेसिक स्ट्रक्चर का पार्ट बनाओ। जातिसूचक उपनाम लगाना अपराध घोषित करो। एससी, एसटी एक्ट को बेसिक शिक्षा में शामिल करो। अंतर्विवाह पर कर छूट का कानून अविलम्ब बनाओ। भारत की अस्पृश्यता, जाति व जातिवाद को शतप्रतिशत समाप्त करो। हिन्दू राष्ट्र के संविधान का प्रारूप तैयार करने वालों के विरुद्ध देशद्रोह का मुकदमा दर्ज करो। अंधविश्वास, पाखण्ड, कर्मकाण्ड को बढ़ावा देने वाली संस्थानों के विरुद्ध देशद्रोह का मुकदमा दर्ज करो। जमीन और उद्योगों का राष्ट्रीयकरण करो। ग्रामसमाज की जमीन भूमाफियाओं से मुक्त कराकर भूमिहीनो में अबिलम्ब आवंटित करो जैसे मांग विषयक को लेकर लोकतांत्रिक ढंग से धरना प्रदर्शन कर बारह सूत्रीय ज्ञापन नायब तहसीलदार बारा रविकांत द्विवेदी को सौंपा गया तो वही दूसरी ओर महिषासुर जो हमारे देश के महान सम्राटों में से एक थे और भारत के मूल द्रविड़ सम्राट के साथ साथ बहुजन समाज के नायक थे जिन्हें छल कपट से दुर्गा द्वारा मरवा दिया गया साथ ही साथ दस पीढ़ियों तक शासन करने वाले बौद्ध सम्राट बृहद्रथ को भी छल कपट से मनुवादी पुष्यमित्र शुंग द्वारा मारने एवं जलाने वाली परम्परा जिसका दशहरा पर रावण आदि का पुतला जलाना पूरे राष्ट्र तथा भारत के मूलनिवासी मौर्य सम्राटों का अपमान है जो बर्दास्त से बाहर है। पुतला फूंकना ठीक नही है और न ही संवैधानिक है। पदम देश में जातिवादी सोच मिटाकर, समतामूलक समाज का निर्माण करने का काम करता है। जातिवाद, भेदभाव छुआछूत मुक्त भारत का निर्माण की इस साझी लड़ाई को प्रयागराज की सामाजिक, सांस्कृतिक व अधिकारी, कर्मचारी संगठन व संस्थाएं महिलाओं के नेतृत्व में एक अभियान के रूप में गांव गांव जाकर लोगो को जागरूक किया जा रहा है। इस प्रदर्शन में राजाराम, अमरजीत, विद्याकान्त, शिवपूजन, राजकुमार, रंजीत कुमार, अविनाश, अनिल कुमार, रामसजीवन, रामबहादुर, रामविलास, बजरंगी, रामनिरंजन, कुबई, रामकरन, संतलाल, शंकरलाल, बद्री प्रसाद, देवराज, नन्हकू, नबूलाल, जगदीश, सीता, कुसुम, नियुरानी, विमला, गेंदाकली, राजकली, संगीता, विजय कुमारी, कलावती, गुड्डी, चंद्रावती, गीता, उर्मिला, पुष्पा, राजकुमारी, रूपा के साथ हजारों लोग उपस्थित रहे।