राकेश केसरी
कौशाम्बी। चायल तहसील के निजामपुर पुरैनी गांव में लगातार छठवें दिन मंगलवार की शाम भगवत कथा का प्रवचन हुआ। जिसमें वेद व्यास ने श्रोताओं को सुनाया कि कलयुग में भगवत कथा भगवान को जानने का सबसे सरल साधन है। ऐसे में प्रत्येक मनुष्य को चाहिए कि भगवान से तार जोड़ने के लिए हरि नाम तो जपे ही। उक्त बातें अचार बसी नंदन राधे शुक्ला उनके शिष्य मोहित पंडित अनुभव शास्त्री शैलेंद्र शास्त्री भगगवत कथा के छठवें दिन भक्तों को समझाते हुए कही। भगवत कथा में वेद व्यास महराज ने सुदामा चरित्र पर वर्णन करते हुए भक्तों को बताया कि सुदामा भगवान श्रीकृष्ण के सखा थे, लेकिन कर्म से वह एक गरीब ब्राम्हण हुए। उन्होंने श्रीकृष्ण सखा सुदामा के बालपन की कथा भी बड़े ही मनमोहक ढंग से सुनाई। वहीं श्रीकृष्ण की अग्नी रुक्मिणी विवाह को भी बड़े ही सहज अंदाज में लोगों को सुनाया किस तरह से रूक्मिणी विवाह होता है,बताया कि भगवान श्रीकृष्ण देवी रुक्मिणी मंदिर से हरण किया था। वहीं देवी के भाई रूक्मिन का वध भी किया था। वेद व्यास जी ने बताया कि भगवत कथा सभी पुराणों का सार है इसके श्रवण मात्र से मनुष्य के पानों का नाश होता है और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। ऐसे में प्रत्येक मनुष्य को चाहिए कि वह भगवत का रसपान पूरे भाव और प्रेमपूर्वक अपने मन मष्तिक में उतारे। जब आपके अंदर प्रभु के प्रति भाव होगा तभी आपकी तार प्रभु से जुड़ेगी और आप एक खुशहाल का जीवन जीने के बाद मोक्ष को प्राप्त होंगे। इस तरह से कथावाचक ने छठवें दिन सुदामा चरित्र व रूक्मिणी विवाह की कथा श्रोताओं को सुनाया। इस दौरान अनूप केशरवानी, लालता प्रसाद केसरवानी, रामबाबू केसरवानी, रमेश केसरवानी, अयोध्या प्रसाद केसरवानी, शिव बाबू केसरवानी, चेतपाल, सोनू केसरवानी, आदि सैकड़ों भक्त मौजूद रहे।