राकेश केसरी
कौशाम्बी। कहीं न कहीं कुछ तो गड़बड़ है,वरना इतनी सुविधाओं के बाद भी आंगनबाड़ी के आंगन सूने नहीं होते। किसी में दो बच्चे तो कहीं एकदम सूनापन है जबकि हालात यह हैं कि बच्चों की सुख सुविधा और उनकी सेहत का ख्याल रखने के लिए सरकार हरसंभव कोशिश कर रही है और केंद्र तक उन्हें उपलब्ध भी कराया जा रहा है। बच्चों की संख्या लगातार कम देख दाल में कुछ न कुछ काला जरूर दिख रहा है। हमारे स्थानीय संवाददाता ने सिराथू ब्लॉक में पड़ताल की तो पता चला कि बाल विकास विभाग के आंगनबाड़ी केंद्र सूने पड़े हैं। हालात ये है कि कई बच्चे नदारद हैं तो कहीं बच्चों की संख्या नगण्य मिल रही है। सिराथू ब्लॉक से जुड़े आंगनबाड़ी केंद्र शमसाबाद में प्रथम,द्वितीय,तृतीय कम्रश। कुल नामांकित 102 बच्चों में मात्र दस बच्चे मौजूद थे। कार्यकर्ता विमला देवी ने बताया कि सहायिका कई दिनो से केंद्र पर नहीं आ रही हैं। बच्चों को बुलाने की व्यवस्था न होने के कारण केंद्र पर बच्चे नहीं आ रहे हैं। आंगनबाड़ी केंद्र मलाक पीजडी में कुल नामांकित 40 बच्चों में मात्र चार बच्चे मौजूद मिले। कार्यकर्ता ने बताया कि सहायिका नहीं आई हैं, इसलिए मात्र चार बच्चे आए हैं। आंगनबाड़ी केंद्र राघवपुर में कुल नामांकित 45 बच्चों में मात्र 6 बच्चे मौजूद थे। बाल विकास परियोजना अधिकारी ने बताया कि केंद्रों पर बच्चों की कम संख्या व बिना सूचना कर्मियों के गायब रहने की जानकारी मिली है। औचक निरीक्षण कर संबंधित पर कार्रवाई की जाएगी।
केंद्र में मिलने वाली सुविधाएं
छह वर्ष से कम आयु के बच्चों का टीकाकरण, गर्भवती स्त्रियों के लिए प्रसव पूर्व देखभाल और टीकाकरण, छह वर्ष से कम आयु के बच्चों को अनुपूरक पोषण, गर्भवती और शिशुओं की देखभाल करने वाली स्त्रियों को अनुपूरक पोषण, 15 से 45 वर्ष के आयु वर्ग की सभी महिलाओं के लिए पोषण और स्वास्थ्य शिक्षा, गर्भवती महिलाओं की प्रसवपूर्वक देखभाल तथा शिशुओं की देखरेख करने वाली माताओं की प्रसवोत्तर देखभाल, नए जन्मे शिशुओं तथा छह वर्ष से कम आयु के बच्चों की देखभाल कुपोषण अथवा बीमारी के गंभीर मामलों को अस्पतालों, समुदाय स्वास्थ्य केन्द्रों अथवा जिला अस्पतालों (पोषण पुनर्वास केंद्रध्नवजात शिशु गहन देखरेख यूनिट) को भेजना, 3-6 वर्ष की आयु के बच्चों को अनौपचारिक विद्यालय पूर्व शिक्षा प्रदान करना।