इन्द्रपाल सिंह 'प्रिइन्द्र'
गांधी ने सत्य,अंहिसा के मार्ग पर चलकर अंग्रेजों से भारत को मुक्त कराया: राजा सिंह
बैरिस्टर की डिग्री हासिल करने के बाद, खादी पहनकर देश का भ्रमण कर आजादी में अपना अमूल्य योगदान दिया: पत्रकार इन्द्रपाल सिंह
मड़ावरा/ललितपुर। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और पूर्व प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री की जयंती रविवार को रंजना देवी पब्लिक स्कूल डोंगरा खुर्द के धूमधाम से मनाई गई। स्कूल के छात्र- छत्राओ ने विविध कार्यक्रम आयोजित किये। इस अवसर विद्यालय के संरक्षक राजा सिंह (पूर्व प्रधान) ने दोनों महापुरुषों के चित्रों पर माल्यार्पण कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की गई। इस दौरान विद्यालय में उपस्थित वक्ताओं ने महापुरुषों के पदचिह्नों पर चलने का संकल्प लेते हुए हिंसा का त्याग करने तथा शांति और सद्भावपूर्वक जीवनयापन करने की छात्र-छत्राओ से अपील की।
संरक्षक राजा सिंह (पूर्व प्रधान) ने कहा कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और लाल बहादुर की जीवनी से हम सबको सीख लेने की आवश्यकता है। मोहनदास करमचंद गांधी को राष्ट्रपिता के नाम से भी जाना जाता है, उनका जन्म 2 अक्टूबर, 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था। 2 अक्टूबर को प्रत्येक वर्ष विश्व अहिंसा दिवस के रूप में मनाया जाता है। बापू के अंहिसा वाले पथ पर आज भी कई सारे लोग चलते हैं उनके विचार आज भी हमारा मार्ग दर्शन कर रहे हैं और कल भी करेंगे,गांधी जी भले ही गुजरात में पैदा हुए लेकिन उनकी पूरी पढ़ाई लंदन से पूरी हुई उन्होंने लंदन से बैरिस्टर की डिग्री ली और उसके बाद जब वो वापस स्वदेश लौटे तो उन्होंने अपना पूरा जीवन भारत को आजाद करने में लगा दिया। सत्य और अंहिसा के मार्ग पर चलकर उन्होंने अंग्रेजों से भारत को मुक्त कराया था, यही वजह है की दुनिया उन्हें आज भी अहिंसा का सबसे बड़ा प्रतीक मानती हैं और उनके विचार सदियों तक लोगों के जेहन में जिंदा रहेंगे।
संस्थापक/प्रबन्धक पत्रकार इन्द्रपाल सिंह ने कहा बताया कि
2 अक्टूबर 1869 में गुजरात के पोरबंदर में महात्मा गांधी का जन्म हुआ था। उनका पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था और आगे चलकर उन्हें बापू कहकर संबोधित किया गया। महात्मा गांधी ने सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलकर अंग्रेजो को कई बार घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया। यही वजह है कि पूरा विश्व उन्हें सम्मान के साथ याद करता है। महात्मा गांधी के विचारों से केवल युवा ही नहीं बल्कि नेता भी प्रेरणा लेते हैं।
महात्मा गांधी के विचारों और कार्यों के कारण ही उनके जन्मदिन को राष्ट्रीय पर्व का दर्जा दिया गया है। उन्होंने लंदन में कानून की पढ़ाई की थी लेकिन लंदन से बैरिस्टर की डिग्री हासिल करने के बाद भी उन्होंने खादी पहनकर देश का भ्रमण किया और आजादी में अपना अमूल्य योगदान दिया। आज हमें गांधी जैसे नेताओं की आवश्यकता है। हम उनके बताए रास्ते पर चलकर अपने जीवन को बेहतर बना सकते हैं। गांधी जी ने असहोयग आंदोलन और दांड़ी मार्च या नमक सत्याग्रह से लेकर अंग्रेजों भारत छोड़ा का नारा आज भी हर किसी के जेहन में ताजा है। गांधी जी का चंपारण सत्याग्रह भी उनकी मजबूत छवि को दिखाता है। महात्मा गांधी को विश्व पटल पर अहिंसा के प्रतीक के तौर पर जाना जाता है। इस अवसर पर इंचार्ज प्रधानाध्यापक देवेन्द्र कुशवाहा, सहायक अध्यापक गोविन्द्र कुशवाहा, मुन्नालाल कुशवाहा,रविशंकर कुशवाहा,भूपेन्द्र कुमार,प्रदीप सिंह,धर्मबीर रैकवार सहित विद्यालय के छात्र-छात्राएं मौजूद रही।