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जरा याद करो कुर्बानी

Saturday, October 8, 2022

/ by Today Warta



संजय धर द्विवेदी

 टुडे वार्ता

लालापुर/ प्रयागराज  लोहगरा 10 वर्ष की अल्पायु में देश की आजादी का जुनून चढ़ा तो देश के आजाद होने के बाद ही उतरा उसके बाद समाज के दबे कुचले को न्याय दिलाने के संघर्ष में जुटे इस व्रत को पूरा करने के लिए आदिवासी बहुमूल्य इलाका लोहगरा में शिक्षा की ज्योति जलाने वाले पंडित जंगी राम दुबे भारत सरकार द्वारा दी गई स्वतंत्रता ग्राम सेनानी पेंशन को भी ठुकरा दिया था आजादी की लड़ाई में खेत खलियान घर द्वार सब कुछ गंवा चुके स्वर्गीय जंगी राम दुबे का कहना था कि आजादी का संघर्ष भारत माता के कर्ज को उतारने के लिए लड़ा था इसका मूल्य नहीं चाहिए भारत माता जैसे अमर सपूत लाल बहादुर शास्त्री रणजीत पंडित एवं हेमवती नंदन बहुगुणा के सानिध्य में जेल की यात्रा करने वाले स्वर्गीय श्री  जंगी राम दुबे को 15 अगस्त 1972 को भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी ने सम्मान में ताम पत्र दिया था आज भी उनके पुत्र अमरनाथ दुबे उसे अमूल्य निधि मानते हैं कि एक सामान्य परिवार के पंडित जंगी राम दुबे के सिर से पिता सत्य नारायण की छाया 5 वर्ष की आयु में ही उठ गया माता ने बालक को देश प्रेम की ऐसी शिक्षा दी की कक्षा 5 पास  होने के बाद आजादी की लड़ाई में कूद पड़े 1928 में हाथ में तिरंगा लेकर अगुवाई करने वाले सेनानी को अंग्रेजी हुकूमत ने जेल में ठूंस दिया मात्र 10 वर्ष के बालक को जेल ठोकर यातनाएं आजादी का जुनून को डगमगा नहीं पाई  एक माह बाद बाहर निकले कांग्रेस की विभिन्न बैठकों में भाग लेने लगे फिर जेल जाने का क्रम जारी हुआ इसमें 1930 3 माह और 1931 में 6 माह 1932 में दो माह 1942 में 1 वर्ष तक जेल में रहे 1942को जब महात्मा गांधी ने अंग्रेज अंग्रेजों भारत छोड़ो का नारा दिया था तो यमुनापार का नेतृत्व किया था जेल में रणजीत पंडित के साथ सत्याग्रह करने वाले स्वर्गीय जंगी राम दुबे20 अगस्त 1943 को छोड़ दिए गए भारत में अंतरिम सरकार बनी चुने गए स्वर्गीय जंगी राम दुबे रणजीत पंडित प्रतिनिधि चुने गए स्वर्गीय जंगी राम दुबे  ने उस समय कहा पूर्ण स्वतंत्रता के बाद ही चैन होना चाहिए उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा 1964 में प्रकाशित पुस्तक स्वतंत्रता सेनानी में स्वर्गीय जंगी राम दुबे त्याग बलिदान का जिक्र है 15 अगस्त 1947 को भारत आजाद हो गया किंतु वास्तविक आजादी नहीं माना कि वास्तविक आजादी तब होगी जब भारत का बच्चा बच्चा  शिक्षित होगा इसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए अपनी जमीन बेच कर उन्हें लोहगरा में एक विद्यालय की स्थापना की रणजीत पंडित इंटर कॉलेज क्षेत्र में शिक्षा की ज्योति फैला रहा है प्रतिवर्ष  फागुन शुक्ल पक्ष एकादशी को उनके पुत्र अमरनाथ  दुबे जी के द्वारा स्थापना दिवस के रूप में  पं  जंगी राम दुबे का जन्मदिन मनाया जाता है इनके पुत्र  अमरनाथ दुबे बताते हैं कि उन्होंने अंग्रेजी शिक्षा का विरोध किया था कक्षा 5 के बाद शिक्षा नहीं ग्रहण की लेकिन आजादी के बाद हाई स्कूल इंटर तथा हिंदी साहित्य सम्मेलन प्रयाग रत्न की उपाधि ग्रहण कर ली थी लोकप्रिय जननायक पंडित जंगी राम दुबे 7 मार्च 1981 को इहलोक  त्याग कर परलोक सिधार गए उनके पुत्र अमरनाथ दुबे उनके बताए रास्ते पर चलने का प्रयास कर रहे हैं सासन प्रशासन के लोग स्वर्गीय जंगी राम दुबे को भले ही भूल गए किंतु क्षेत्र की जनता उनके त्याग बलिदान परोपकार को नहीं भूल सके क्षेत्र  मैं उनका नाम बड़े ही सम्मान से लिया जाता है अमरनाथ दुबे के पुत्र अभय शंकर दुबे ह्रदय शंकर दुबे अमिय  शंकर दुबे अनिय शंकर दुबे पंडित जंगी राम दुबे के बताए हुए मार्ग पर चल रहे हैं क्षेत्र की जनता सभी भाईयों को  को बड़ा स्नेह और आशीर्वाद देती रहती है गरीबों और असहाय के लिए हर तरह संभव प्रयास करते रहते हैं

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