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लाखों अनाथ बच्चों के लिए यशोदा बनने को तैयार मांएं

Saturday, October 29, 2022

/ by Today Warta



नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में देश में बच्चा गोद लेने की लंबी प्रक्रिया पर सवाल उठाए। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की बेंच ने कहा है कि कोई भी युवा कपल बच्चा गोद लेने के लिए 3-4 साल का इंतजार नहीं कर सकता है। कोर्ट ने केंद्र सरकार से इस पूरी प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए कहा है। देश में लाखों की संख्या में अनाथ बच्चे हैं और हैरत की बात यह है कि ऐसे बच्चों को गोद लेने के इच्छुक मां-बाप और सिंगल मदर, सिंगल फादर की संख्या भी बहुत है। मगर समस्या देश में कानूनी तौर पर गोद लेने की लंबी प्रक्रिया का होना है। बच्चा गोद लेने वाले लोगों को कानूनन मां-बाप बनने के लिए 3 से 4 साल का वक्त लगना बहुत ज्यादा होता है।

अनाथ बच्चों की तीन कैटेगरी होती हैं

हमारे देश में बच्चा गोद लेने की कानूनी प्रक्रिया बेहद लंबी और कठोर है। जुवेनाइल जस्टिस एक्ट 2015 के तहत जब एडमिनिस्ट्रेशन या सरकारी एजेंसी को कोई बच्चा मिलता है तो उसे अगले 24 घंटे के अंदर ह्यजिला बाल कल्याण समितिह्ण (उहउ) के सामने पेश किया जाता है। इसके बाद बाल कल्याण समिति अनाथ, छोड़े हुए और लावारिस की कैटेगरी तय करके बच्चे के प्रोटेक्शन के आॅर्डर देती है।

किस घर में जाएगा बच्चा, इसे भी जांचा जाता है

आॅर्डर जारी होते ही उस बच्चे को सेंट्रल एडॉप्शन रिसोर्स अथॉरिटी (उअफअ) की वेबसाइट पर रजिस्टर्ड किया जाता है, लेकिन इस दौरान वो ह्यनॉट फॉर एडॉप्टेबलह्ण कैटेगरी में रहता है यानी इस बच्चे को तुरंत गोद नहीं लिया जा सकता। बच्चे की मेडिकल रिपोर्ट तैयार की जाती है और वो किस घर में जाएगा, उसकी सारी जानकारी उअफअ के अधिकारी जुटाते हैं। इसके बाद ही बच्चे को गोद लेने वाले पेरेंट्स को कानूनी तौर पर बच्चा सौंपा जाता है।

गोद लेने के लिए बच्चे का कानूनी तौर पर फ्री होना जरूरी

गोद दिए जाने वाले बच्चों का जिला बाल कल्याण समिति द्वारा लीगल फ्री होना जरूरी है। इसके लिए एक तय प्रक्रिया है। 2 साल तक की उम्र के बच्चों को अधिकतम 2 महीने में और 2 साल से ज्यादा उम्र के बच्चों को 4 माह में लीगली फ्री करार दिया जाता है। इस बीच एजेंसी बच्चे के माता-पिता और परिजनों का पता लगाने का हरसंभव प्रयास करती है। घरवालों का पता नहीं चलने पर बच्चे को लीगली फ्री मानकर उअफअ की वेबसाइट पर एडॉप्शन के आवेदन के लिए अवेलेएबल किया जाता है।

विदेशी कपल को इंडियंस के बाद मिलता है मौका

भारतीय बच्चे विदेशी कपल को सीधे एडॉप्शन के लिए नहीं दिए जा सकते। उअफअ पहले भारतीय और ठफक कपल को बच्चे को गोद लेने का मौका दिया जाता है। 7 दिन में दो बार मंगलवार और शुक्रवार को आॅनलाइन वेबसाइट के जरिए ये मौके मिलते हैं। अगर 5 साल से कम उम्र के बच्चे को 60 दिन बाद भी कोई इंडियन एडॉप्ट नहीं करता, यानी 16 बार कोशिश के बाद भी भारतीय दंपती उस बच्चे को गोद नहीं लेता तो विदेशी दंपती को यह अवसर दिया जाता है। बच्चा 5 साल से बड़ा है तो 30 दिनों बाद, मतलब 8 रिजेक्शन और दिव्यांग बच्चे को 15 दिन, मतलब 4 रिजेक्शन के बाद विदेशी दंपती को यह अवसर मिलता है।


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