दशहरा के मौके पर कवि सम्मेलन का हुआ आयोजन
ललितपुर। नवरात्रि एवं दशहरा के मौके पर कौमी एकता की प्रतीक साहित्यिक संस्था हिन्दी उर्द् अदवी संगम के तत्वावधान में रामप्रकाश शर्मा के निवास पर कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। जिसकी अध्यक्षता वरिष्ठ हास्य कवि किशन सिंह बंजारा ने की, जबकि संचालन संस्था के अध्यक्ष रामकृष्ण कुशवाहा एड. ने किया। बुराई पर अच्छाई की विजय कलयुग के रावण पर शेर पढ़ते हुए कहा कि आज हर बस्ती में सोने की लंका है, लंका दहन को तुम इतने हनुमान कहां से लाओगे। ना जाने कितनी सीता रावण के अनीति में बंधन में है। कलयुग के रावण वध को इतने राम कहां से लाओगो। रामसरूप नामदेव ने खूबसूरत रचना पेश करते हुये कहा कि अंधकार मिलते नहीं लिए जाते हैं आजाद है, लेकिन जुल्म किए जाते हैं। अशोक क्रांतिकारी ने क्रांतिकारी रचना पेश करते हुए कहा कि जिन्होंने देश की जान ली बो अमीर हो गया, जिन्होंने देश के लिए जान दी है बस शहीद हो गए। महिला शक्ति की ओर से सुमनलता शर्मा चांदनी ने अपने चिर परिचित अंदाज में माता जगदंबा को नमन करते हुए कहा सुर असुरों ने पूजा तुमको मां तेरी लीला न्यारी है ना जाने कितनों की तुमने बिगड़ी तकदीर संवारी है। प्रशांत श्रीवास्तव ने खूबसूरत गीत पेश किया जो सराहा गया कोयल की कूक ले जा सर्दी की भूख ले जा सपनों का रूप ले जा पियाजी के गांव रे। राधेश्याम ताम्रकार ने गजल पेश करते हुए कहा कि समय की जल भर कदम आगे बढ़ाए हैं। ललिया जब तेज लहरों से किनारे पास आए है। काका ललितपुरी ने श्रोताओं को खूब हंसाया, उन्होंने कहा कि काकी ने जब देखे घर में काका का सम्मान उनके चेहरे पर अलग दिखेगी मुस्कान। मामा एम.एल. भटनागर ने कहा सुबह चले जाना अभी तोरात बाकी है घटाएं खेल रही देखो अभी बरसात बाकी है। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे वरिष्ठ कवि किशन सिंह बंजारा ने कहा अंबे है जगदंबे मां तेरी भक्ति में बीते जाए जीवन सारा मेरी विनती सुन लो मां का द्वार पे खड़ा है एक बंजारा। कार्यक्रम में उपस्थित श्रोताओं में श्याम सुंदर शर्मा, आनंद जैन, मिथिलेश रैकवार, कन्हैयालाल सेन, सुरेंद्र पाठक, समर्थ शर्मा, शारदा यादव, मुस्तरी बेगम, मनोरमा जैन, राजाराम खटीक एड., मनीष कुशवाहा आदि उपस्थित थे। आभार कार्यक्रम संयोजक रामप्रकाश शर्मा ने व्यक्त किया।