संजय धर द्विवेदी
लालापुर ।प्रयागराज : पाँच दिवसीय तक चलने वाले दीपोत्सव महापर्व का शुभारंभ शनिवार को धनतेरस के साथ हो गया। इस अवसर पर लालापुर बाजार में लगभग लाखों रूपये का करोबार हुआ। जिसमें सबसे अधिक खरीददारी वर्तन, सराफा, गारमेन्ट्स, इलेक्ट्रॉनिक्स, और अन्य वस्तुओं की हुई। लालापुर बाजार में सुबह से लेकर देर रात तक दुकानों पर ग्राहकों की भीड़ देखने को मिली। इस दौरान सारा लालापुर बाजार दुल्हन की तरह सजा-धजा दिखायी दिया। ग्राहकों की भीड़ देख व्यापारियों के चहरे खिल उठे। वहीं बाजारों में भीड़ के कारण जगह-जगह जाम की स्थिति बनी रही। शाम से लेकर देर रात तक लालापुर बाजार, सहित अन्य बाजारों में भी धनतेरस दीपावली त्यौहार का रौनक दिखाई दी। धनतेरस दीपावली से दो दिन पहले मनाई जाती है। जिस प्रकार देवी लक्ष्मी सागर मंथन से उत्पन्न हुई थी । उसी प्रकार भगवान धनवन्तरि भी अमृत कलश के साथ सागर मंथन से उत्पन्न हुए हैं। देवी लक्ष्मी धन की देवी हैं। परन्तु उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए आपको स्वस्थ्य और लम्बी आयु भी चाहिए यही कारण है। दीपावली दो दिन पहले से ही यानी धनतेरस से ही दीपामालाएं सजने लगती है। कार्तिक मास कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन ही धन्वन्तरि का जन्म हुआ था। इसलिये इस तिथि को धनतेरस के नाम से जाना जाता है। धन्वन्तरी जब प्रकट हुए थे तो उनके हाथो में अमृत से भरा कलश था। भगवान धन्वन्तरी चूंकि कलश लेकर प्रकट हुए थे। इसलिए ही इस अवसर पर बर्तन खरीदने की परम्परा है। कहीं कहीं लोकमान्यता के अनुसार यह भी कहा जाता है कि इस दिन धन ;वस्तु खरीदने से उसमें 13 गुना वृद्धि होती है। इस अवसर पर धनिया के बीज खरीद कर भी लोग घर में रखते हैं। दीपावली के बाद इन बीजों को लोग अपने बाग-बगीचों में या खेतों में बोते हैं। बच्चों ने खरीदे मनपसंद कपड़े दीपावली के पर्व पर नये कपड़े पहनने का विशेष महत्व होता है। खासकर बच्चें तो नये कपड़े अवश्य पहनते है। वेतन निर्धारित समय पर मिलने से धनतेरस पर कपड़ो का बाजार खूब चला। इस दौरान लोगों ने अपने मनपसंद कपड़ो एवं अन्य समान की खरीदारी लोगों ने किया।

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