राकेश केसरी
कौशाम्बी। आदर्श नगर पंचायत करारी में प्रभु श्री राम की लीला का मंचन बुंदेलों ने शुरू कराया था। पहले यहां रामलीला जगह बदल-बदल कर सिर्फ तीन दिन होती थी। वर्ष 1901 से रामलीला का मंचन निर्धारित स्थल पर तेरह दिनों के लिए होने लगा। रामलीला के दौरान नागरिक आस्था में डूबकर भगवान के भौतिक स्वरूप का दर्शन करते हैं। करारी की रामलीला का इतिहास काफी पुराना है। 1729 ईश्वी के आसपास जब मुगलों से बुंदेलों का संघर्ष हुआ तो बुंदेले एकजुटता का पैगाम देने दोआबा की धरती पर आए थे। वह धार्मिक नाटकों के माध्यम से पहले लोगों की भीड़ इकट्ठा करते थे। फिर मौजूद लोगों से एकजुट होने का आह्वान करते थे। जिला भ्रमण के दौरान बुंदेला सरदार छत्रसाल के बेटे हरदे नारायण करारी भी आए थे। संगठित होने का संदेश देने के लिए उन्होंने ही करारी में रामलीला शुरू कराई थी। उनके जाने के बाद स्थानीय लोगों के सहयोग से लगातार रामलीला का मंचन होता रहा। स्थान निर्धारित न होने से कई बार जगह बदली गई। नतीजतन उस समय रामलीला में काफी दिक्कतें आया करती थीं। सन 1901 में समस्या को देखते हुए पं. राम आधीन भट्ट ने रामलीला के लिए अपनी जमीन दान दे दी। कस्बे के धनाढ्य रामसुख केसरवानी, छोटेलाल रस्तोगी, राम भरोस जायसवाल, पुद्दु बाबा आदि के सहयोग से उसी जमीन पर रामलीला का मंचन तेरह दिनों तक किया जाने लगा। अब तो रामलीला काफी भव्य हो चुकी है। दर्शकों के बैठने के लिए स्टेडियम का निर्माण करा दिया गया है। कलाकारों के ठहरने का प्रबंध है। मंच भी विशाल रूप ले चुका है। रामलीला का डिजिटलाइजेशन भी हुआ है।
बुंदेलखंड के होते हैं अधिकतर पात्र
करारी की रामलीला में अधिकतर पात्र बुंदेलखंड से बुलाए जाते हैं। तेरह दिनों तक यहां के लोग श्रद्धा के साथ भगवान श्री राम, लक्ष्मण, सीता व श्री हनुमानजी के भौतिक स्वरूप का दर्शन करते हैं। इस दौरान कस्बे में उत्सव जैसा माहौल रहता है।
समय के साथ बहुत कुछ बदला
पहले करारी की रामलीला मशाल जलाकर होती थी। इसके बाद लालटेन व गैस जलाकर होने लगी। समय के बदलाव के साथ अब आधुनिक विद्युत लाइट की चकाचौंध में हो रही है।
आज होगा मुकुट पूजन, 10 से रामलीला
श्रीरामलीला कमेटी के अध्यक्ष संजय जायसवाल ने बताया कि शुक्रवार रात वैदिक मंत्रोच्चारण के बीच भगवान के मुकुट का पूजन कराया जाएगा। दस अक्तूबर से रामलीला शुरू होगी। पहले दिन नारद मोह होगा। कमेटी ने जिला प्रशासन से सफाई, सुरक्षा आदि व्यवस्था दुरुस्त कराने की मांग की है।
इनका कहना है
करारी की रामलीला ऐतिहासिक है। 1729 में बुंदेलों ने यहां की रामलीला शुरू कराई थी। समय के साथ रामलीला में काफी बदलाव किया गया है। तेरह दिनों तक चलने वाली रामलीला के दौरान दर्शक आस्था में डूब कर भगवान के भौतिक स्वरूप का दर्शन करते हैं।
रमेश चंद्र शर्मा-ट्रस्टी, श्रीराम जानकी ट्रस्ट