राकेश केसरी
कौशाम्बी। बेहतर और नि:शुल्क इलाज के लिए मरीज अस्पताल पहुंचते हैं, लेकिन अस्पताल में मरीजों को न तो बेहतर इलाज ही मिल पा रहा है और न ही नि:शुल्क इलाज मिल रहा है। मरीजों को अव्यवस्थाओं के साथ ही जेब भी ढीली करनी होती है। अस्पताल में जरूरी दवाओं का टोटा रहता है। ऐसे में मरीज तड़पते रहते हैं और स्वास्थ्य सेवाएं कराहती रहती हैं। मुख्यालय मंझनपुर स्थित जिला अस्पताल में मरीज आते तो बेहतर इलाज के लिए हैं, लेकिन यहां आते ही उनकी परेशानियां शुरू हो जाती हैं। पर्चा बनवाने से लेकर परामर्श और दवाएं लेने के लिए जंग लड़नी होती है। मरीज ओपीडी के बाहर लाइन लगाए खड़े रहते हैं और जब हालत बिगड़ जाती है तो वहीं पर लेट जाते हैं पर डॉक्टर उन्हें जल्द देखने का प्रयास नहीं करते हैं। डॉक्टर मरीजों को बाहर से दवाएं लेने के लिए पर्ची थमा देते हैं, इसके साथ ही मेडिकल स्टोर भी बता देते हैं। वहीं कुछ डॉक्टर अस्पताल की पैथालॉजी की रिपोर्ट को गलत बताते हुए बाहर से जांच कराने के लिए कहते हैं।