राकेश केसरी
कौशाम्बी। गरीब, मजबूर मजदूरों की आह जिले के अफसरों को सुनाई नहीं दे रही है। यहां साप्ताहिक बंदी कागजों में सिमटी है। श्रम विभाग हाथ पर हाथ धरे बैठा और श्रम कानून केवल दिखावटी बनकर रह गए है। विभाग के अफसर द्वारा चेंकिग व कार्रवाई न होना दुकानदारों के लिए वरदान साबित हो रहा है। यही वजह है कि अब साप्ताहिक बंदी होने के दिन भी बाजार गुलजार रहते हैं और अफसर देखकर भी अनदेखा कर रहे हैं। जिले के निकायों में साप्ताहिक बंदी के दिन व्यावसायिक प्रतिष्ठान खुले रहते हैं और श्रमिकों का शोषण चरम पर है। श्रमिकों के हित महाजनों के स्वार्थ के नीचे दबे हुए हैं। श्रम विभाग चैन की नींद सोच रहा है। ऐसे में अवकाश के दिन भी श्रमिकों से कार्य कराया जा रहा है। विरोध करने पर श्रमिकों को नौकरी से ही हाथ धोना पड़ता रहा है। बतां दें कि पूरे सप्ताह कड़ी मेहनत कर रहे श्रमिकों को सरकार ने एक दिन का साप्ताहिक अवकाश प्रदान किया है। उप्र दुकान एवं वाणिज्यिक अधिष्ठान अधिनियम-1962 के तहत प्रदेशभर के प्रत्येक जनपद में साप्ताहिक बंदी दिवस घोषित किए हैं। इसकी निगरानी व पालन कराने के लिए बाकायदा श्रम विभाग को कार्रवाई के लिए भी आदेशित किया गया है, लेकिन कौशाम्बी जनपद इससे अछूता है। जिलाधिकारी ने बंदी दिवस के प्रत्येक नगरीय क्षेत्र में दिवस घोषित किए हैं, मगर श्रम विभाग के अफसरों की लापरवाही और हीलाहवाली से यहां बंदी दिवस हवा निकल रही है। श्रमिकों के शोषण, पीड़ा और मुश्किलें अफसरों को दिखती नहीं हैं, क्योंकि अवकाश के दिवसों में धरातल पर कोई चेकिग नहीं हो रही है।
मंझनपुर में नहीं हो रहा पूरी तरह बंदी का पालन
मंझनपुर कस्बे में बुधवार को साप्ताहिक बंदी दिवस घोषित है, लेकिन यहां इसका पालन न के बराबर हो रहा है। हालात यह है कि साप्ताहिक बंदी दिवस में भी बाजार खुले रहते हैं और श्रमिकों को सरेआम काम कराया जाता है। श्रमिकों में बाल श्रमिकों की संख्या भी यहां कम नहीं है, लेकिन अफसर सबकुछ देखकर भी अनजान बने रहते है।
सिराथू में नहीं होती नियमित चेकिंग
सिराथू कस्बे में मंगलवार को साप्ताहिक अवकाश का दिवस घोषित किया गया है, लेकिन यहां इसका असर कम ही देखने को मिलता है। बाजार खुले रहते है। मंगलवार को भी बाजार में दुकानें खुली रही और खूब खरीदारी होती रही। श्रम विभाग के अधिकारियों का यहां चेकिग के लिए न आना बड़ी वजह है। नियमित चेकिग हो हालात सुधर सकते है।