राकेश केशरी
कौशाम्बी। मानव के साथ पशु-पक्षियों के होने से प्राकृतिक संतुलन बना रहता है। कीटनाशक दवाओं के बढ़ते प्रयोग और मोबाइल टावरों के रेडिएशन से पक्षियों की संख्या में गिरावट आ रही है। मोबाइल नेटवर्क के अपग्रेडेशन के साथ 4-जी टावरों ने घर-घर फुदकने वाली गौरैया को विलुप्त कर दिया है। प्राकृतिक पर्यावरण संरक्षक गिद्धों को कैमिकल के प्रयोग ने समाप्त कर दिया है। पक्षियों पर मंडरा रहे संकट पर भले ही फिल्म 2.0 में अभिनेता अक्षय कुमार और रजनीकांत ने चिता जाहिर कर समाज को बड़ा संदेश देने का काम किया हो, पर असल तौर पर अमल में लाए बिना पक्षियों के कम हो रहे अस्तित्व को बचाने की बात बेमानी लगती है। आधुनिकता के दौर में 2-जी से 4-जी मोबाइल नेटवर्क पर हम आ गए और इसकी 5-जी की ओर बढ़ रहे हैं, पर टावरों से निकलने वाले रेडिएशन के प्रति न तो कंपनियां चितित हैं और न ही जिम्मेदार। टेलीकॉम से जुड़े एक अधिकारी का कहना है कि 4-जी टावरों के 300 मीटर परिधि में रेडिएशन अधिक रहता है और इसके दुष्परिणाम पक्षियों के साथ मानव पर भी पड़ रहे हैं। क्षेत्रीय वनाधिकारी का कहना है कि विभाग द्वारा गौरैया को संरक्षित किए जाने के लिए घरों में घोंसला लगवाए गए। पक्षियों को बचाने के लिए प्रचार-प्रसार कराया जा रहा है। पशु- पक्षियों के शिकार पर रोक को प्रभावी बनाने के लिए निगरानी कराई जाती है। रेडिएशन का सबसे अधिक असर गौरैया पर पड़ा है और अन्य पक्षियों की प्रजाति प्रभावित हो रही है। प्राकृतिक पर्यावरण संरक्षक गिद्ध के समाप्त होने का मुख्य कारण मृत पशुओं से चमड़ा और हड्डियों को जल्द एकत्र करने के लिए कैमिकल का प्रयोग किया जाना है।
शुरू हो गया प्रवासी पक्षियो के आने का क्रम
मंझनपुर तहसील के अलवारा झील/पक्षी विहार में रौनक दिखने लगी है। मंझनपुर के डिप्टी रेंजर का कहना है कि पक्षियों के संरक्षण के लिए लगातार काम किया जा रहा है। देसी और विदेशी पक्षियों का शिकार न हो सके इसके लिए वाच टावरों से निगरानी कराई जाती है। सर्दी शुरू होते ही प्रवासी पक्षियों के आने का क्रम शुरू हो गया है।

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