राकेश केसरी
कौशाम्बी। पटाखों का धुआं कोविड संक्रमण का कारण बन सकता है। क्योंकि नमी के चलते पटाखों का जहरीला धुआं ईद-गिर्द ही मंडाराएगा, ऐसे में वायु प्रदूषण बढ़ जाता है। जिससे दमा और फेफड़ों में संक्रमण का खतरा रहता है। फेफड़ों के संक्रमण से कोरोना के संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है। इसलिए कोविड को देखते हुए पटाखों से दूरी बनाकर सेहत की रखवाली करें। डा0 रोहित केशरवानी का कहना है कि पटाखे का जहरीला धुआं उड़कर ऊपर न जाकर नीचे हमारे इर्द-गिर्द ही रहकर सांसों के साथ ही फेफड़ों को भी प्रभावित कर सकता है। इसलिए सांस लेने में तकलीफ पैदा करने वाले कोरोना के साथ ही अन्य कई बीमारियों से बचने के लिए भी इस बार पटाखों से दूरी बनाने में ही सभी की भलाई है। डा0 अरूण पटेंल ने कहा कि धुएं में मौजूद कैडमियम फेफड़ों में आक्सीजन की मात्रा को कम करता है। इसके अलावा इसमें मौजूद सल्फर, कॉपर, बेरियम, लेड, अल्युमिनियम व कार्बन डाईआक्साइड आदि सीधे फेफड़ों को नुकसान पहुंचाते हैं। कोरोना ने सांस की तकलीफ वालों को ज्यादा प्रभावित किया है, इसलिए पटाखे का धुआं श्वसन तंत्र को प्रभावित कर कोरोना की गिरफ्त में न ले जाने पाए, उसके लिए इस बार पटाखे से दूर रहें। फिजीसियन डा0 गौरव ने बताया कि धुएं के कणों के सांस मार्ग और फेफड़ों में पहुंच जाने पर ब्रोनकाइटिस और सीओपीडी की समस्या बढ़ सकती है। यह धुआं सबसे अधिक त्वचा को प्रभावित करता है, जिससे एलर्जी, खुजली, दाने आदि निकल सकते हैं। पटाखों से निकलने वाली तेज रोशनी आंखों को भी नुकसान पहुंचाती है।
सैनिटाइजर लगे हाथों से न छुएं पटाखे
कोरोना के इस दौर में सैनिटाइजर लगे हाथों से पटाखे जलाना और यहां तक कि छूना भी मुसीबत में डाल सकता है। क्योंकि अल्कोहल युक्त सैनिटाइजर पटाखों में मौजूद बारूदों के संपर्क में आकर धमाका कर सकता है। आतिशबाजी को छूने के बाद नाक, मुंह व आंख को कदापि न छुएं और अच्छी तरह से साबुन-पानी से हाथ को धुलें।
अस्पतालों को किया गया अलर्ट
जिलाधिकारी सुजीत कुमार ने दीपावली पर अस्पतालों को भी अलर्ट कर दिया है। आतिशबाजी से किसी भी तरह की दुर्घटना होती है तो अस्पताल पहुंचने वालों की अच्छी तरह से देखभाल के लिए जरूरी इंतजाम पहले से कर लिए जाएं। दीपावली में जिला अस्पताल के इमरजेंसी में दस बेड आरक्षित रहेंगे।

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