राकेश केसरी
कौशाम्बी। सुहागिन महिलाओं ने महिलाओ ने गुरूवार को करवाचैथ का व्रत श्रद्धा वं उत्साह के साथ रखा। शास्त्रों के अनुसार यह व्रत कार्तिक मास के कृष्णपक्ष की चन्द्रोदय व्यापिनी चतुर्थी के दिन व्रती महिलाए रखती है। पति की दीघार्यु एवं अखण्ड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए इस दिन भालचन्द्र गणेश जी की अर्चना की जाती है। करवाचैथ में भी संकष्टीगणेश चतुर्थी की तरह दिन भर उपवास रखकर रात में चन्द्रमा को अर्घ्य देने के उपरांत ही भोजन करने का विधान है। स्त्रियां निराहार रहकर चन्द्रोदय की प्रतीक्षा करती हैं। गौरतलब हो कि कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को करकचतुर्थी (करवा-चैथ) व्रत करने का विधान है। इस व्रत की विशेषता यह है कि केवल सौभाग्यवती स्त्रियों को ही यह व्रत करने का अधिकार है। स्त्री किसी भी आयु, जाति, वर्ण, संप्रदाय की हो, सबको इस व्रत को करने का अधिकार है। जो सौभाग्यवती (सुहागिन) स्त्रियाँ अपने पति की आयु, स्वास्थ्य व सौभाग्य की कामना करती हैं वे यह व्रत रखती हैं।