इन्द्रपाल सिंह 'प्रिइन्द्र'
ललितपुर। जिला प्रशासन के तमाम निर्देशों के बाद भी अन्ना जानवरों की समस्या खत्म होने का नाम नहीं ले रही हैं। जानवरों के झुंड फसलों को तो तबाह कर ही रहे हैं। साथ ही यातायात को भी बाधित कर रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में किसान कृषि के साथ ही दुधारू जानवर पालकर जीवकोपार्जन करते हैं। जब यह दुधारू जानवर दूध देना बंद कर देते हैं तो ग्रामीण ऐसे जानवरों को खुला छोड़ देते हैं। यह जानवर ग्रामीणों के साथ-साथ अन्य लोगों के लिए मुसीबत बन जाते हैं। जिले में अन्ना जानवरों की समस्या विकराल रूप धारण करती जा रही है। अन्ना जानवर खेतों में घुसकर किसानों की फसलों को चौपट कर रहे हैं। ऐसे में किसानों को अपनी फसलों को सुरक्षा करना मुश्किल हो रहा है। कई बार तो इन्हीं जानवरों की वजह से किसानों के लिए विवाद कारण तक बन रहे हैं। इससे किसानों को आर्थिक हानि तो उठानी ही पड़ती हैं साथ ही मानसिक परेशानी से भी गुजरना पड़ता है। इसके अलावा यह अन्ना जानवर सड़कों पर घूम कर यातायात व्यवस्था को भी प्रभावित कर रहे हैं। आए दिन कई सड़कों पर छोटी-बड़ी दुर्घटनाएं होतीं रहतीं हैं। महरौनी के नगर क्षेत्र के साथ-साथ ग्रामीण इलाकों के सभी प्रमुख मार्गों पर आवारा जानवर डेरा डाले हैं। इन जानवरों की वजह से कई बार जाम जैसे हालातों के साथ साथ दुर्घटनाएं भी आम हो गई हैं। लोगों का कहना है कि शासन यदि गांव-गांव में किसानों का समूह बनाकर उनके खेतों में फेंसिंग की योजना तैयार कर क्रियान्वित करें। इससे किसानों का दोहना लाभ हो सकता है। एक तो उनके खेतों की आवारा पशुओं से सुरक्षा दूसरा किसान वर्ष में तीन फसल लेकर अपनी आर्थिक स्थिति में सुधार भी कर सकता है। ग्रामीणों ने उच्च अधिकारियों अन्ना जानवरों से हो रही समस्या का निस्तारण किए जाने की मांग की है।