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लौह पुरुष नारी इन्दिरा गांधी पुण्यतिथि विशेष

Sunday, October 30, 2022

/ by Today Warta



अदम्य जीवनी शक्ति से ओत-प्रोत इन्दिरा गाँधी

ललितपुर। पूर्व प्रधानमंत्री इन्दिरा गाँधी की पुण्यतिथि पर आयोजित एक परिचर्चा को संबोधित करते हुए नेहरू महाविद्यालय के पूर्व प्राचार्य प्रो.भगवत नारायण शर्मा ने कहा कि इन्दिरा गाँधी के जीवनकाल में हमारी पृथ्वी ने सूरज की परिक्रमा 67 बार की। एक व्यक्ति की जीवन अवधि छोटी होती है, लेकिन यदि उसे उसके लाखों-करोड़ों समकालीनों की जीवन अवधियों से जोड़ दिया जाये तो वह बहुत बड़ी हो जाती है।सचमुच यदि किसी राष्ट्र का नेता अपनी जीवन आकांक्षाओं को सम्पूर्ण राष्ट्र की इच्छा आकांक्षाओं से मिश्रित करने में सफल हो जाता है, तब उसकी जीवन अवधि को सही ढंग से वर्षों में नहीं बल्कि उनके देशवासियों की सम्पूर्ण पीढ़ी के जीवन के कुलयोग में ही माना जा सकता है। कवयित्री सुभद्रा कुमारी चौहान ने झाँसी की रानी वीरांगना लक्ष्मीबाई के प्रति कहा था दुर्गा थी या लक्ष्मी थी, या स्वयं वीरता की अवतार के ठीक लहजे में कवि हृदय पूर्व प्रधानमंत्री अटलजी ने भी बंगलादेश के अभ्युदय के समय तमाम संकीर्ण राजनीतिक पूर्वाग्रहों से मुक्त होकर लगभग ऐसे ही उद्गार व्यक्त किए थे। इन्दिराजी जब साधारण से साधारण अपने प्रिय कार्यकर्ताओं को उनके नाम से संबोधित करती थीं तो वे विस्मित हो उठते थे। यही उनकी शक्ति का मूल आधार था। इन्दिरा गांधी की मोहक मुस्कान कश्मीर की नरम धूप बिखेरती सी लगती थी। उनका मनोहर चेहरा मानो पूरब और पश्चिम की जनजातियों और लोगों के व्यापक स्थानांतरणों की अशांत लहरों का सा था। उनका गम्भीर रूप, उनकी आकर्षक दृष्टि और उनका सुसंस्कृत व्यवहार हमारे हृदयों को सहज ही जीत लेते थे। लेकिन सिर्फ उनके नारी सुलभ गुण उनकी छवि को अविस्मरणीय बनाते थे, ऐसी बात नहीं थी। पृथ्वी पर सुख -समृद्धि और राष्ट्रों के बीच अमन-चैन के लिए इन्दिरा गांधी के अमर प्रयत्न उनके व्यक्तित्व के मूल तत्व थे। इसी कारण दुनिया के लोगों के बीच अपने समय की प्रथम महिला के रूप में समादृत थीं और इसी कारण एक महान शक्ति का नेतृत्व करने में उन्होंने हिमालय की ऊंचाईयों का स्पर्श किया। जब इन्दिरा जी लालबहादुर शास्त्रीजी के मंत्री मण्डल में सूचना एवं प्रसारण मंत्री थीं तब कश्मीर पर पाकिस्तानी आक्रमण के समय उनकी चुस्ती-फुर्ती की एक झलक तब के विदेशी समाचार पत्रों की देखिए बूढ़ी नारियों की मंत्री परिषद् में अकेली वही पुरुष हैं इन्दिरा गांधी की कार्यभूमि राष्ट्रीय और विश्व राजनीति थी। वह पक्के तौर पर यह मानकर चलती थीं कि राजनीति को पृथ्वी के मानव जीवन की सेवा करनी चाहिए।

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