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मुख्यालय पर नल के अवैध संयोजनों की बाढ़

Saturday, November 19, 2022

/ by Today Warta



इन्द्रपाल सिंह प्रिइन्द्र

क्षेत्र के लिपिक ने राइजिंग लाइन से दिए सैकड़ों कनेक्शन

ललितपुर। गर्मी का मौसम शुरू होते ही शहर में भीषण पेयजल समस्या एक विकराल रूप धारण कर लेती है, जिसके निस्तारण को लेकर जिला प्रशासन को हेल्पलाइन नम्बर तक जारी करने पड़ जाते हैं। लेकिन साल दर साल विकराल होती पेयजल समस्या के पीछे कारण क्या हैं, यह जानने का प्रयास नहीं किया जाता है। इस मामले जब जानकारी की गयी तो पाया गया कि विभाग में बैठे कुछ लिपिकों द्वारा अपनी जेब गर्म करने के चक्कर में राइजिंग लाइन जिससे पानी की टंकियां भरी जाती हैं, से सीधे नल संयोजन दे दिये हैं। जिससे टंकियों में पर्याप्त मात्रा में पानी नहीं पहुंच पाता है और पेयजल आपूर्ति बाधित हो जाती है। यह एक बहुत बड़ा भ्रष्टाचार के रूप में उजागर होने वाला मामला है, जिला प्रशासन जनहित में इस मुद्दे पर ध्यान देकर निष्पक्ष कार्यवाही करने तो कई मामले और भी उजागर हो सकेंगे।

गौरतलब है कि शहर में पेयजल आपूर्ति के लिए कई स्थानों पर विशाल टंकियों का निर्माण किया गया था। इन टंकियों में पानी को एकत्र करके पेयजल आपूर्ति के लिए सुरक्षित किया जाता रहा है। इन टंकियों में ट्रीटमेंट प्लाण्ट से पानी फिल्टर होकर राइजिंग लाइनों के जरिए पानी मोटरों को चलाकर भरा जाता है, जिससे कि पानी से पर्याप्त मात्रा में पानी टंकियों में भर सके। लेकिन विभाग में तैनात कुछ लिपिकों ने इसमें भी कमाई का जरिया निकाल लिया। शहर के मोहल्ला पटेलनगर, नेहरू महाविद्यालय के सामने, ग्राम पनारी तक और इलाइट क्षेत्र में कई स्थान ऐसे हैं, जहां पेयजल आपूर्ति के लिए टंकियों को जोडऩे वाली राइजिंग लाइनों में लोगों को सीधे तौर पर संयोजन दे दिये गये हैं। जिससे टंकियों को भरने के लिए ट्रीटमेंट प्लाण्ट से जाने वाले पानी को बीच में ही रोक लिया जाता है और नलों के जरिए उक्त पानी पूरी क्षमता से टंकियों में नहीं पहुंच पाता है। यही प्रमुख कारण है कि गर्मियों में जब पानी की खपत अधिक होती है तो टंकियों में पानी नहीं पहुंच पाता और पेयजल की भीषण समस्या से लोगों को परेशान होना पड़ता है। सूत्र तो यहां तक बताते हैं कि गोविन्द सागर बांध किनारे हाई-वे की ओर नर्सरी के पास बनी पानी की टंकी की राइजिंग लाइन में सैकड़ों नल के अवैध संयोजन वहां के लिपिक द्वारा करा दिये गये हैं, जिनका विभाग में कोई रिकॉर्ड मौजूद नहीं है। ऐसे नलों के अवैध संयोजनों की जानकारी जब आलाधिकारियों तक पहुंचती है तो विभाग द्वारा मामला दबाने के लिए कुछ टीमों के जरिए अवैध संयोजनों को कटवा दिया जाता है, लेकिन क्षेत्रीय लिपिक द्वारा फिर वही संयोजनों को जुड़वा दिया जाता है। ऐसे में जिला प्रशासन जनहित में उच्च स्तरीय जांच कराते हुये राइजिंग लाइन से नलों के अवैध संयोजनों की जांच कराते हुये कार्यवाही करे तो शहरवासियों को गर्मी के मौसम में भीषण पेयजल समस्या का सामना नहीं करना पड़ेगा।

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