देश

national

श्रद्धा के साथ मनाया गया गुरु तेगबहादुर का बलिदान दिवस

Monday, November 28, 2022

/ by Today Warta



ललितपुर। श्रीगुरु सिंह सभा के तत्वाधान में 9 वे गुरुश्री गुरु तेगबहादुर का शाहीदी दिवस हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी स्व.सरदार अवतार सिंह के निवास सिविल लाइन में श्रद्धा भावना के साथ मनाया गया। इस अवसर पर श्रीसाप्ताहिक पाठ साहिब की समाप्ति हुई। उपरांत गुरूद्वारा ग्रन्थी हरविंदर सिंह व आदेश सिंह ने गुरबाणी कीर्तन व कथा द्वारा संगत को निहाल किया। ग्रन्थि हरविंदर सिंह ने अपने उधबोधन मे कहा कि वर्ष 1675 में दिल्ली के चांदनी चौक पर मुगल बादशाह औरंगजेब द्वारा गुरु तेग बहादुर को शाहीद किया गया। गुरु तेग बहादुर की शहादत दुनिया में मानव अधिकारों के लिए पहली शहादत थी। औरंगजेब भारत को एक इस्लामिक राष्ट्र में परिवर्तित करना चाहता था, इसलिए हिंदुओं को इस्लाम में परिवर्तित करने के लिए मजबूर किया गया। गुरु सिंह सभा के अध्यक्ष ओंकार सिंह सलूजा ने कहा कि पंडित कृपा राम के नेतृत्व में 500 कश्मीरी पंडितों का एक प्रतिनिधि मंडल आनंदपुर साहिब में गुरु तेग बहादुर से मदद लेने गया। औरंगजेब के अत्याचारों के बारे में जानने के बाद गुरु तेग बहादुर के पुत्र गोबिंद राय ने कहा कि भारत के लोगों की समस्याओं को हल करने के लिए उनके पिता से ज्यादा सक्षम कोई नहीं है। गुरु तेग बहादुर को एहसास हुआ कि उनका बेटा अब गुरु की गद्दी लेने के लिए तैयार है और इसलिए एक दूसरा विचार दिए बिना, उन्होंने पंडितों से औरंगजेब को यह बताने के लिए कहा कि अगर वह गुरुजी को इस्लाम में परिवर्तित करने में सक्षम है, तो हर कोई इस नियम का पालन करेगा। सरदार हरजीत सिंह ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि गुरु तेग बहादुर को तब क्रूर शासक के सामने गिरफ्तार कर लिया गया और इस्लाम स्वीकार करने से मना करने पर, गुरुजी और उनके अनुयायियों को पांच दिनों तक शारीरिक यातनाएं दी गईं। उसे प्रस्तुत करने के लिए, गुरुजी के अनुयायियों को उनके सामने जिंदा जला दिया गया। अंत में, गुरु तेग बहादुर ने मुगल बादशाह औरंगजेब की तमाम कोशिशों के बावजूद इस्लाम धर्म नहीं अपनाया और तमाम जुल्मों का पूरी दृढ़ता से सामना किया. गुरू तेग बहादुर के धैर्य और संयम से आग बबूला हुए औरंगजेब ने चांदनी चौक पर उनका शीश काटने का हुक्म जारी कर दिया और वह 24 नवंबर 1675 का दिन था, जब गुरू तेग बहादुर ने धर्म की रक्षा के लिए अपना बलिदान दिया। नेहरू महाविद्यालय के पूर्व प्रचार्य प्रोफेसर भगवत नारायण शर्मा ने कहा कि गुरु जी के बलिदान ने उन्हें हिंद की सच्ची प्रेम की चादर माना। उन्होंने कहा कि मानव के सामने जो समस्याएं पेश हैं उनका समाधान गुरु तेग बहादुर ने 2 शब्दों में बता दिया है निरभउ निरवैर अर्थात समस्त मानव ना किसी से डरे ना डराये सभी प्रेम की एक डोर में बंध जाए मजहबो के सीमित बन्धनों से मुक्त होकर रूहानियत के सकल ब्रह्ममांड से जुडऩा ही शांति समांतर भाई चारे के यही एक मात्र राजमार्ग है। वरिष्ठ उपाध्यक्ष हरविंदर सिंह सलूजा ने कहा कि गुरुजी के अनुयायियों में से एक ने अपने पुत्र गोबिंद राय (जिन्हें बाद में गुरु गोबिंद सिंह के नाम से जाना जाता है) के पास गए, उनका शीश  भाई जेता जी आनंदपुर साहिब ले कर आये वही उनका संस्कार हुआ और दूसरे ने उनके घर पर उनके साथ उनके पार्थिव शरीर को ले गए और प्रार्थनाएँ कीं। उनके स्वयं के घर को जला दिया। औरंगजेब को उनके गायब शरीर का रहस्य कभी भी पता नहीं चला। इस अवसर पर गुरु जी के लँगर की सेवा भी स्वर्गीय अवतार सिंह जी के परिवार द्वारा की गई। इस अबसर पर गुरु सिंह सभा के अध्यक्ष ओमकार सिंह सलूजा, वरिष्ठ उपाध्यक्ष हरविंदर सिंह सलूजा, कोषाध्यक्ष परमजीत सिंह छतवाल, मंत्री मनजीत सिंह सलूजा, शकुंतला, बलजीत सिंह, सुरजीत सिंह खालसा, गुनबीर सिंह, हरीश कपूर टीटू, नरेंद्र सिंह, तेजवंत सिंह, सुरजीत सिंह सेंट्रल बैंक, दलजीत सिंह, जगजीत सिंह, कमलदीप सिंह, गुरुमुख सिंह, परसन सिंह, जसप्रीत सिंह, सतीश अरोरा, डा.जेएस बक्शी, भगवत नारायण एड., ऋषि मोहन दुबे, गोपी चंद्र डोडवानी, उत्तम सिंह चौहान, स्वामी प्रसाद यादव, स्त्री साध संगत की अध्यक्ष बिंदु कालरा, मानवेंद्र कौर, मनप्रीत कोर, गुरप्रीत कौर, गुरदीप कौर, अमरजीत कौर, मनजीत सिंह, आदि उपस्थित थे। संचालन महामंत्री सुरजीत सिंह सलूजा ने किया आभार हरजीत सिंह ने वयक्त किया।

Don't Miss
© all rights reserved
Managed by 'Todat Warta'