टिकट की चाह में पार्टी नेताओं की परिक्रमा शुरू
पाली/ललितपुर। नगर निकाय चुनाव की तारीख को लेकर अभी तक कयास ही लगाए जा रहे हैं कि नवम्बर के अंत तक सीटो का आरक्षण तय होने के बाद दिसम्बर में चुनाव हो सकता है। चुनाव को लेकर प्रत्याशी तो अपनी पूरी जोर आजमाइश लगाएं है। तो कई प्रत्याशी अपने संबंधित पार्टी से अपना टिकट पक्का मानकर चल रहे है । खैर ऐ तो आने वाला वक्त ही बताएगा कि कौन पार्टी किसको अपना प्रत्याशी बनाएगी । अभी तक देखा जाए तो पाली में निर्दलीय प्रत्याशियों का ही दबदबा देखा गया । प्रमुख पार्टी के प्रत्याशी भी एक सैकड़ा मतों के ऊपर नीचे ही बने रहे।
नगर पंचायत पाली में अब तक देखा जाए तो निर्दलीय प्रत्याशियों का ही दबदबा रहा है । पहले चेयरमैन राव महेंद्र प्रताप सिंह से लेकर विष्णुशंकर चौरसिया , रामरती चौरसिया , मनोज कुमार चौरसिया , नंदकिशोर सोनी , रामकुमार चौरसिया ने निर्दलीय चुनाव जीता । निर्दलीयों के इस दबदबे को देख राजनीतिक दल जिताऊ प्रत्याशियों की तलाश में अभी बने है। प्रत्याशियों के डाटा को भी खंगाला जा रहा है कि कहीं कोई जनता की नजर में दागी और पार्टी की नजर में बाघी तो नहीं है। पब्लिक तो है कि सब जानती है लेकिन अभी हाल पार्टी से टिकट पाने वाले प्रत्याशी पार्टी नेताओं की खूब आवभगत करने में जुटे है । नेताओं की नजर उन पर पड़े इसके लिए कुछ हसंते- मुस्कराते चेहरों वाले होडिंग्स भी खूब दिख रहे है , कि किसी तरह बस टिकट की बात बन जाए । सबसे ज्यादा प्रत्याशी सत्ताधारी पार्टी से टिकट की जुगत लगा रहे है । पार्टी से जुड़े लेकिन अपने प्रचार में जुटे प्रत्याशी अध्यक्ष पद की टिकट न मिल पाने पर किसी वार्ड का चुनाव लड़ने को तैयार है तो कुछ ऐसे है जो टिकट न मिलने पर अपनी पार्टी आस्था को त्याग चुनावी मैदान में ताल ठोककर अपनी पूरी तैयारी में जुटे है। पार्टी आस्था को त्याग जब ऐसे प्रत्याशी मैदान में आएंगे तो कहीं न कहीं पार्टी प्रत्याशी का गणित बिगड़ेगा। ऐसे में राजनीतिक दलों के पास एक बड़ी चुनोती होगी कि ऐसे हुए बागियों से कैसे निपटा जाए। सूत्र बताते है कि पार्टी से बगावत कर चुनाव लड़ने वालों पर एक खास प्लान बनाया जा ताकि कोई बगावत कर ताल न ठोक सके। चर्चा है कि कुछ पार्टी अपने प्रत्याशियों को नाम जल्द खोल देगी तो प्रमुख पार्टी ऐन वक्त पर ही अपने पत्ते खोलेगी। ताकि किसी को बगावत का मौका ही न मिले।