राकेश केसरी
कौशाम्बी। जनपद मुख्यालय सहित जिले में राज्य सड़क परिवहन निगम के बसों का सुचारू रूप से संचालन न होने से डग्गामार वाहन संचालकों की चादी है, क्योंकि निगम की बसों का संचालन सही तरीके व समय से संचालन न होने से डग्गामार बसें यात्रियों को भूसे के माफिक भरकर यात्रा कराते हैं जिससे यात्रियों के जेब के साथ-साथ शारीरिक यातनें भी सहनी पड़ती है। डग्गामार वाहन संचालक यात्रियों को लुभावने देकर बसों में बैठा लेते है इसके पश्चात् यात्रियों की तादाद बढने पर अन्य यात्रियों को छोटे-छोटे स्टेशनों के आने के पहले उन्हें खड़ा करवा देते है जिससे यात्रियों को काफी कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है, इसके अलावा डग्गामार वाहन संचालक उनके गन्तव्य तक पहुंचाने में काफी समय लगाते हैं जिसके चलते डग्गामार वाहन संचालक यात्रियों की जेब व शारीरिक यातनाओं को सहने पर मजबूर कर देते हैं।
पुलिसिया परमिट पर चलते हैं डग्गामार वाहन
जनपद में मुख्यालय सहित जिले भर में डग्गामार वाहन संचालकों के आगे खाकी भी बौनी दिखाई पड़ रही है क्योंकि चांदी की चमक के आगे उनका भी डंडा काम नहीं कर पा रहा है, जहां सूबे के मुखिया पुलिस को आधुनिक बनाने के लिए तरह-तरह की योजनाऐं चला रहे हैं वहीं जनपद की पुलिस इनका संचालन खुलेआम करवा रही है,जबकि दो वर्ष पूर्व निवर्तमान एसपी ने जनपद के डग्गामार वाहनों के संचालन पर पूरी तरह से प्रतिबन्ध लगा दिया था, लेकिन उनके जाने के पश्चात् पुलिस फिर अपनी असली मुकाम पर आ गई और इनका संचालन शुरू करा दिया। सूत्रों का कहना हैं कि जिलें में डग्गामार वाहनों के संचालन होने से पुलिस को लगभग एक लाख रुपये की मासिक आमदनी होती है।

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