राकेश केसरी
बार-बार मांगने के बाद भी वनविभाग में मजदूरों को नहीं मिलती मजदूरी
कौशाम्बी। वन विभाग में सरकार से मोटा वेतन पाने और लकड़ी माफियाओं से संलिप्तता कर हरे पेड़ कटवाने वाले वन विभाग के अधिकारी कर्मचारियों की नैतिकता अब इस कदर गिर चुकी हैं कि गरीब कमजोर दो जून की रोटी को तरसने वाले मजदूरों की मजदूरी पर भी विभागीय अधिकारी डाका डाल रहे हैं,बेशर्मी की हद पार कर देने वाले वन विभाग के लोगों के कारनामों के चलते मजदूरों के सामने दो जून की रोटी की समस्या उत्पन्न हो गई है। बीते कई वर्षों पूर्व से विभाग में मजदूरों की मजदूरी में डाका डालने का जो यह खेल शुरू हुआ है,उस पर रोक लगती नहीं दिख रही है,बीते वर्ष शिकायत के बाद जिला अधिकारी ने वन विभाग को जमकर फटकार लगाई थी,जिस पर कुछ मजदूरों की मजदूरी का भुगतान कर विभाग ने शिकायती पत्र का निस्तारण कर दिया,लेकिन तमाम मजदूरों की मजदूरी का बकाया भुगतान उन्हें अभी तक नहीं मिल सका है। जिलाधिकारी से शिकायत करने के बाद भी मजदूरों की मजदूरी पर डाका डालने की प्रथा वन विभाग में नहीं बंद हो सकी है,वन विभाग के पौधशाला में मजदूरी करने वाले मजदूरों को कई कई महीने बीत जाने के बाद उनकी मजदूरी नहीं दी जाती है, तमाम मजदूरों से काम कराए जाने के बाद उपस्थिति रजिस्टर में उनका नाम नहीं दर्ज किया जाता है,बल्कि विभाग के कर्मचारियों के रिश्तेदारों का नाम फर्जी तरीके से मजदूरों के रजिस्टर में दर्ज कर रिश्तेदारों को मजदूरों की मजदूरी का भुगतान कर दिया जाता है और बाद में इन रिश्तेदारों से हिस्सा वसूली हो जाती है। सबकुछ बेखौफ तरीके से प्रभागीय वनाधिकारी के संज्ञान में होने के बाद भी मजदूरों की मजदूरी पर डाका डालने वाले लोगों पर कठोर कार्यवाही नहीं हो सकी है,मंझनपुर रेंज क्षेत्र के कोर्रो मंगरोहनी गांव की पौधशाला में मजदूरी करने वाले मजदूर कल्पतिया,संतुल,कैलाशी,शोभा, केसपति,रामरति,संगीता सहित दर्जनों मजदूरों ने पौधशाला में निराई गुड़ाई मजदूरी की है,लेकिन मजदूरों को तीन-तीन महीने की मजदूरी नहीं दी गई है,मजदूरी करने के बाद उपस्थिति नहीं दर्ज है,इन मजदूरों ने मजदूरी किया है तो, मजदूरी किसके नाम से दर्ज करने के बाद उनकी मजदूरी का भुगतान किसके बैंक खाते में निकाली गई है,यह जांच का विषय है। विभाग में मजदूरों की मजदूरी में डाका डालने का यह खेल कोई नया खेल नहीं है,इसके पहले भी तमाम मजदूरों के कई-कई महीने की मजदूरी के घोटाले किए जा चुके हैं। मजदूर मजदूरी मांगने के लिए विभागीय लोगों का चक्कर लगाते हैं,मजदूरों की समस्या सुनने का समय डीएफओ के पास नहीं है,डीएफओ की उदासीनता के चलते विभागीय लोग उन मजदूरों की मजदूरी डकार कर मौज कर रहे हैं। सूत्रों की मानें तो मजदूरी की रकम में डाका डालने के इस खेल में लाखों रुपए महीने की हेराफेरी विभाग में हो रही है,विभागीय अधिकारियों कर्मचारियों ने रिश्तेदारों की फर्जी उपस्थिति दर्ज करके उनके बैंक खातों में गरीब मजदूरों की रकम भेजकर रिश्तेदारों से रकम वापस ले ली है। वन विभाग में मजदूरों की मजदूरी में डाका डालने के इस खेल में यदि शासन स्तर से जांच कराई गई तो प्रभागीय वनाधिकारी के साथ रेंजर मंझनपुर की भूमिका सवालों के घेरे में होगी,लेकिन क्या शासन स्तर से निष्पक्ष जांच होगी और मजदूरों को न्याय मिल पाएगा यह यक्ष प्रश्न है।