गांधीनगर। मोरबी के अस्पताल में सोमवार रात मरम्मत और रंगाई-पुताई की गई। यहां हादसे के घायलों का इलाज चल रहा है। मोरबी में 30 अक्टूबर की शाम हुए पुल हादसे में अब तक 134 ही शव बरामद हुए हैं। मौतों का सरकारी आंकड़ा भी यही है। हादसे के तीसरे दिन मंगलवार को नेवी और ठऊफऋ की टीमों ने एक बार फिर मच्छू में शवों की तलाश शुरू कर दी है। गुजरात में बुधवार को एक दिन का राजकीय शोक घोषित किया गया है। 3 दिन के गुजरात दौरे पर गए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी आज मोरबी में मृतकों के परिजनों और घायलों से मुलाकात करेंगे। उनके मोरबी दौरे से पहले रातोंरात अस्पतालों का रंग-रोगन और मरम्मत की गई है। विपक्षी कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने अस्पतालों की मरम्मत पर तंज किया है। कहा- भाजपा इवेंट मैनेजमेंट में जुटी है ताकि प्रधानमंत्री का फोटोशूट हो सके।
एक्शन: 9 गिरफ्तारियां, 50 लोगों की टीम जांच कर रही
ब्रिज के मेंटेनेंस की जिम्मेदारी ओरेवा ग्रुप के पास है। इस ग्रुप ने मार्च 2022 से मार्च 2037 यानी 15 साल के लिए मोरबी नगर पालिका के साथ एक समझौता किया है। गुजरात पुलिस ने कहा कि 50 लोगों की टीम पुल हादसे की जांच में जुटी है। जिम्मेदारों पर धारा 304, 308 और 114 के तहत केस दर्ज किया गया है। कॠ ने कहा- अभी तक जिनकी भूमिका सामने आई, उन्हें गिरफ्तार किया गया। जैसे-जैसे नाम सामने आते जाएंगे और गिरफ्तारियां होती जाएंगी। अब तक 9 लोग गिरफ्तार किए गए हैं। इनमें ओरेवा कंपनी के अफसर भी शामिल हैं। इसी कंपनी को ब्रिज की जिम्मेदारी दी गई है।
3. हादसे की वजह: भारी दबाव की वजह से ब्रिज टूटा
मोरबी का केबल सस्पेंशन ब्रिज 20 फरवरी 1879 को शुरू किया गया था। 143 साल पुराना होने से इसकी कई बार मरम्मत हो चुकी है। हाल ही में 2 करोड़ रुपए की लागत से 6 महीने तक ब्रिज का रेनोवेशन हुआ था। गुजराती नव वर्ष यानी 26 अक्टूबर को ही यह दोबारा खुला था, लेकिन बिना फिटनेस सर्टिफिकेट के इसे खोला गया। फोरेंस?िक सूत्र के अनुसार, ब्रिज का पुराना केबल भारी दबाव के कारण टूटा।