राकेश केसरी
कौशाम्बी। सावधानी हटी दुर्घटना घटी। जी हां पहाड़ रुपी ओवर लोडिंग, ट्रैक्टर- ट्रॉली के पीछे जान जोखिम में डालकर बैठे श्रमिक। इन पर किसी हुक्मरान का ध्यान नहीं जा पाना समझ से परे है। वर्तमान में धान का पैरा,लदे पहाड़ रुपी वाहनों को गांव से चलकर शहरों की ओर जाते देखा जा सकता है। खासकर इन दिनों धान की कटाई व कुटाई के पश्चात पैरा के ढुलाई कार्य में इजाफा हो गया है। मजे की बात यह है कि कार्य में लगे अधिसंख्य ट्रैक्टर का रजिस्ट्रेशन कृषि कार्य के लिए है। ट्रॉली का रजिस्ट्रेशन हुआ ही नहीं है। बेखौफ ट्रैक्टर-ट्रॉली माल वाहक के रुप में इस्तेमाल किये जा रहे है। पहाड़ रुपी वाहनों के सड़क पर आते ही इनकी रफ्तार जोर पकड़ लेती है। चालक को भान ही नहीं रहता कि पीछे से कोई अन्य वाहन आ रहा है, उसे पास देना है। कभी-कभी कई किलोमीटर दूर जाने पर पीछे वाले वाहन को पास मिलता है। ट्रॉली के कई गुना ऊंचाई, लंबाई व चैड़ाई में बंटे रस्सी के सहारे पैरा लदे होते है। बहरहाल ट्रैक्टर-ट्रॉली के पीछे बांस के खपच्चों पर बैठे श्रमिकों की जान बराबर हथेली पर रहती है। यह थोड़े पैसे की लालच में पैरा लादने के पश्चात उतारने की गरज से पीछे बैठकर गंतव्य को जाते देखे जा सकते है। इस संबंध में सिराथू के पुलिस क्षेत्राधिकारी कहते है कि ऐसे वाहनों को चिह्नित कर अतिशीघ्र कार्रवाई किये जाने की रणनीति तैयार की जा रही है।