राकेश केसरी
कौशाम्बी। प्रत्येक माह के तृतीय बुधवार को आयोजित होने वाले किसान दिवस का आयोजन आज किसान कल्याण केन्द्र, मंझनपुर के सभागार में मुख्य विकास अधिकारी डा0 रवि किशोर त्रिवेदी की अध्यक्षता में किया गया। किसान दिवस बैठक में जनपद के कृषकों द्वारा सहभाग किया गया जिसमें उप कृषि निदेशक उदयभान सिंह गौतम, जिला उद्यान अधिकारी, मुख्य पशु चिकित्साधिकारी, कार्यकारी अधिकारी मत्स्य, जिला कृषि अधिकारी मनोज कुमार गौतम एवं जनपद स्तरीय अधिकारियों एवं कर्मियों द्वारा प्रतिभाग किया गया। उप कृषि निदेशक द्वारा किसान दिवस में आये हुये कृषकों को मुख्य विकास अधिकारी के हाथों से पराली प्रबन्धन में सहायक दवा वेस्ट डिकम्पोजर का वितरण कराया गया तथा कृषकों से अनुरोध किया क व पराली को जलाये नहीं अपित उससे खाद बनाये जो उनकी फसलों से अच्छी उपज देने में मददगार होती है। किसान दिवस के माध्यम से कृषकों द्वारा अपनी समस्याओं को मुख्य विकास अधिकारी के समक्ष रखा गया। किसान दिवस में आने वाले कृषकों द्वारा आवारा व छुट्टा मवेशियों द्वारा फसल नष्ट किये जाने की समस्या का निराकरण हेतु गौशाला स्थापना कराये जाने की मॉग किया गया कृषक श्री विजय कुमार निवासी तैयबपुर मंगौरा द्वारा बताया गया कि ग्राम पंचायत में गौशाला हेतु जमीन उपलब्ध है किन्तु गौशाला निर्माण नहीं कराया जा रहा है उक्त के क्रम में मुख्य विकास अधिकारी द्वारा सम्बन्धित जमीन का भौतिक सत्यापन कर गौशाला निर्माण कराये जाने का प्रस्ताव तैयार कराने का आश्वासन दिया गया। कृषि विज्ञान केन्द्र कौशाम्बी के वरिष्ठ वैज्ञानिक डा0 अजय सिंह द्वारा कृषकों को पूसा वेस्ट डिकम्पोजर के प्रयोग के तरीकों से अवगत कराया गया कि 200 लीटर पानी में 100 मिली0 की बोतल की सारी दवा को डालकर मिला लें इसके बाद दो-दो किग्रा0 बेसन एवं गुड़ मिलाकर घोलकर 08 दिनों के लिए ढक कर रख दें इसके बाद झाग तैयार होने पर उसे स्प्रे मशीन के माध्यम से पराली वाले खेत में पानी से सिंचाई करके छिड़काव करें जिससे पराली खेतों में ही सड़ जायेगी व खेतों के लिए कार्बनिक पदार्थ व ह्यूमश दोनों तैयार करेगा जिससे केंचुओं का जन्म होने से खेतों की उपजाऊ शक्ति में बढ़ोत्तरी होगी। कृषक बुद्धशागर सिंह द्वारा खेतों में नील गाय के प्रकोप से अवगत कराया गया व इनसे निजात हेतु तार व कटीली तार की व्यवस्था की मॉग की गयी जिसके व्यवस्था हेतु मुख्य विकास अधिकारी द्वारा आश्वासन दिया गया व बताया गया कि यदि कृषक नील गायों को मार सकें तो वे इन्हें मारने हेतु लाइसेन्स उपलब्ध कराया जा सकता है। इसके अतिरिक्त मुख्य विकास अधिकारी द्वारा अवगत कराया गया कि छुट्टा मवेशियों को गौशालाओं में रखे जाने हेतु सम्बन्धित ग्राम प्रधानों को निर्देशित किया गया है बहुत ही जल्द जनपद के समस्त ग्राम पंचायतों से शत-प्रतिशत आवारा व छुट्टा पशुओं से छुटकारा मिल सकेगा किन्तु कृषकों से अनुरोध किया कि जिन पशुओं को वे दूध के लिए पालते है दूध बन्द होने पर उन्हें छोड़े नहीं यदि वे निरन्तर पशुओं को आवारा छोड़ते रहेंगे तो उसकी समस्या कृषकों के लिए ही बनेंगे।