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जिलें में बिना पंजीयन के चल रहे दर्जनो नर्सिग होम

Tuesday, November 22, 2022

/ by Today Warta



राकेश केसरी

कौशाम्बी। जिले में नर्सिग होमो का ऐसा जाल बिछा है। जिसमें आम जन उपचार के नाम प्रति दिन लुट रहा है। न डिग्री का पता है न डिप्लोमा का फिर भी नर्सिग होम में डाक्टर साहब उपचार कर मरीजों की जान से खेल रहे है। स्वास्थ्य विभाग की लचर नीति से दिन दूना रात चैगुना नर्सिग होम का धंधा फल.फूल रहा है। जिले में नर्सिग होम का धंधा ऐसा चल रहा है कि हर कोई इसमें लाभ कमाने को आतुर है। सूत्रों की माने तो ऐसे नर्सिग होम जिनके पास पंजीयन तक नहीं वह स्वास्थ्य विभाग के रहमो करम पर चल रहे है। ऐसे नर्सिग होम किसी एक डाक्टर के भरोसे नहीं है बल्कि छोटे मोटे रोग के लिए नर्सिग होम संचालक ही काम चलाऊ दवाएं देकर काम पूरा कर देते है। रोगी के भर्ती मामले पर ऐसे नर्सिग होम स्वास्थ्य विभाग के डाक्टरों को प्राइवेट तौर पर बुलाकर रोगियों का उपचार कराते है। जबकि उनके नर्सिग होम संसाधन के नाम पर झोली खाली है। सूत्र बताते है कि नर्सिग होम के संचालन के लिए जो पंजीयन होता है। उसके पैनल में ऐसे डाक्टरों का नाम भरा जाता है जो कभी उन अस्पतालों में जाते भी नहीं। जिले में ऐसे कही नामी चिकित्सक है जो अपनी डिग्री रजिस्ट्रेशन में लगाने के लिए मोटी रकम पहले ही जमा करा लेते है।

क्या कहते है सीएमओ

स्वास्थ्य विभाग में निजी नर्सिग होम की देखरेख की कमान सीएमओ डा0 सुष्पेन्द्र के पास है। उनसे जब अवैध रुप से चल रहे नर्सिग होमों के बारे में पूछा गया तो कहा कि पंजीकृत नर्सिग होमों मे सुविधाएं दुरस्त करने की नोटिस और गैर  पंजीकृत नर्सिग होमों में छापे मारने की कार्रवाई करेंगे। 

डॉक्टर नदारद, बेहाल रहे मरीज

जिला अस्पताल में डॉक्टर शासन के आदेशों की मनमानी करने से बाज नहीं आ रहे हैं। मंगलवार को कई डॉक्टर अपनी कुर्सी से नदारद रहे। कमरों के बाहर खड़े मरीज डॉक्टर के आने के इंतजार में रहे, लेकिन न आने पर मायूस लौट गए। जिले भर से रोगी जिला अस्पताल में अपना इलाज कराने आते हैं। प्रतिदिन करीब 700 से 800 अधिक रोगियों का इलाज यहां होता है। जल्दी दिखाने के चक्कर में सुबह से ही रोगियों की लाइन लग जाती है। मंगलवार को भी डॉक्टरों के कमरों के सामने मरीजों की भीड़ लगी थी। आर्थो सर्जन के कक्ष बाहर भी मरीज उनके आने का इंतजार कर रहे थे। इलाज कराने आए मरीजो  ने बताया कि डॉक्टर साहब कुछ देर के लिए बैठे थे, फिर उठ कर चले गए। यही हाल फिजीशियन के कक्ष के बाहर भी रहा। यहां तो डॉक्टर न सिर्फ नदारद थे, बल्कि उनके कमरे का दरवाजा भी बंद था। काफी देर तक मरीजों ने इंतजार किया फिर लौट गए। 


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