इन्द्रपाल सिंह प्रिइन्द्र
1 नवम्बर 22 को हुआ भव्य समापन
ललितपुर। कला भवन द्वारा आयोजित त्रिदिवसीय चित्रकला महोत्सव में कला प्रेमियों, गणमान्य नागरिकों, एवं छात्र-छात्राओं की भारी संख्या चित्रकला प्रदर्शनी का अवलोकन किया और उन्होंने अपनी बुन्देली संस्कृति, रीति-रिवाज, चितेरी कला, बुन्देली कला, आध्यात्मिक जीवन दर्शन एवं विविध विधाओं में बनाये गये चित्रों को देखा और उनके विषय में जानने का प्रयास किया। इस दौरान जी.आई.सी. सभागार में रखे गये लगभग 200 चित्रों में आयोजक प्रख्यात चित्रकार ओमप्रकाश बिरथरे द्वारा बनाये हुये सुम्मेरा तालाब, बाबा सदनशाह की दरगाह, तोपन का टीला, भौजी चलो दिया धर आयें, अंर्तयात्रा, इड ईगो, सुपर-इगो, बुन्देली बाला, परिवर्तन, सुमति का घर, एक बार की बात है आदि चित्रों ने लोगों का विशेष रूप से ध्यान खींचा। वहीं आध्यात्म से जुड़े कई व्यक्तियों ने वहां रखे आध्यात्मिक चित्रों में गहरी रूचि दिखाई। महेश प्रसाद बिरथरे द्वारा बनाये गये वाटर कलर के लैण्ड्स स्केप लोगों का ध्यान आकर्षित कर रहे थे। नवोदित कलाकारो ने भी अपनी चित्रकला का प्रदर्शन किया। समापन कार्यक्रम में चित्रकला महोत्सव ओमप्रकाश बिरथरे ने कहा कि सतत् कला साधना एवं जीवन के लम्बे समय तक निरन्तर कला साधना के फलस्वरूप सभागार में रखे हुये 200 से अधिक चित्रों के सृजन सम्भव हो पाया है, जिसे वर्तमान में प्रदर्शन करने के में 38 वर्ष लग गये। यह आयोजन इसलिए किया गया कि लोगों को अपनी बुन्देली कला संस्कृति, लोककला, रीति रिवाज तथा पुरातत्व धरोहरों के बारे में जान सके एवं नवोदित कलाकारों को भी अपनी कला प्रदर्शन करने का भी अवसर मिल सके। चित्रकला महोत्सव का समापन मुख्य अतिथि सिद्धि समूह के निदेशक भूपेन्द्र जैन, अध्यक्षता कर रहे बुन्देलखण्ड विकास बोर्ड के सदस्य प्रदीप चौबे, एवं विशिष्ट अतिथि के रूप में पूर्व भाजपा जिलाध्यक्ष जगदीश सिंह लोधी, सभापति कोपरेटिव बैंक हरिराम निरंजन,एवं ब्रह्मकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय की बहिन चित्रलेखा तथा शिविर आयोजक ओमप्रकाश बिरथरे ने संयुक्त रूप से सरस्वती पूजन एवं दीप प्रज्जवलन के साथ हुआ। मुख्य अतिथि भूपेन्द्र कुमार जैन कहा कि बहुत लम्बे समय के बाद ललितपुर में इस तरह का बुन्देली संस्कृति और लोककला का अद्भुत संगम इस विशाल चित्रकला महोत्सव में देखने को मिला है। ओमप्रकाश बिरथरे वर्षो से चित्रकला के क्षेत्र में अद्वितीय सेवायें देते हुये क्षेत्र में नवोदित कलाकारों को प्रभावी मंच उपलब्ध करा रहे है। चित्रकला के क्षेत्र में उनका स्थान अतुलनीय है। उनकी बनाये चित्रों में ऐतिहासिकता एवं सम्बन्धित जानकारी व दर्शन परिलक्षित होते है। प्रदीप चौबे ने कहा कि चित्रकला प्रदर्शनी में श्री बिरथरे के कलाकृतियों में आध्यात्मिक, साहित्यिक चेतना का अद्भुत संगम देखने को मिला। निश्चित तौर पर बिरथरे बुन्देलखण्ड के रत्न हैं। वक्ताओं में सन्तोष कुमार शर्मा, संयोजक इन्टैक चैप्टर ललितपुर ने कहा कि इस तरह के आयोजन ललितपुर में दुर्लभ है एवं शासन एवं प्रशासन को इस तरह के कला महोत्सव का आयोजन कराना चाहिए। इस तरह के आयोजन व्यक्तिगत रूप बहुत खर्चीले होते हैं। ब्रह्मकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय की बहिन चित्रलेखा ने कहा कि कला आत्मा का ईश्वरीय संगीत है। बिना गहरी साधना के आध्यात्म के गहरे रहस्यों को चित्रण नहीं किया जा सकता है। इन चित्रों को देखकर लगता है कि चित्रकार ने निश्चित ही लम्बे समय तक गहरी साधना की है। पर्यटन मित्र फिरोज इकबाल, हरीराम निरंजन सभापति कोपरेटिव बैंक, पूर्व जिलाध्यक्ष भाजपा जगदीश सिंह लोधी, रामरतन विद्या मन्दिर के प्रबन्धक गोविन्द व्यास ने भी सम्बोधित किया। इस अवसर पर रमाकांत तिवारी ने शॉल और रजत गणेश द्वारा ओमप्रकाश बिरथरे का सम्मान किया। कार्यक्रम के अंत में अतिथियों द्वारा नवोदित कलाकारों को प्रशस्तिपत्र देकर सम्मानित किया गया। इस अवसर पर प्रेस क्लब अध्यक्ष राजीव बबेले, सुनील शर्मा, के.पी.एस. डिग्री कालेज प्राचार्य डा राजेन्द्र श्रीवास्तव, बृज बिहारी मुखरैया, अरूण बाबू शर्मा, पूर्व प्रधानाचार्या जीजीआईसी शांति मालवीय, रावर कन्या विद्यालय प्रधानाचार्य नमिता गुप्ता, हर्षिता संज्ञा, अरूणा त्रिपाठी, रूचिका बिरथरे, भगवती देवी, कविता त्रिपाठी, रानी त्रिपाठी, स्वाती त्रिपाठी, लक्ष्मीनारायण विश्वकर्मा, कन्हैया नामदेव, जी.एम. रिछारिया, कुंज बिहारी उपाध्याय, संजीव गिदरौनिया, नवनीत प्रकाश, हरीश साहू, विनोद त्रिपाठी, रवीन्द्र पाठक रविन्द्र, शुभम् बिरथरे, प्रतीक बिरथरे, कप्तान सिंह, गोविन्द राम सेन, जगदीप सोनी, सपना श्रीवास, समय नामदेव, शिवम राठौर, मनोज वैद्य, कुन्दनपाल, डा0 अनुपम मिश्रा, केशव पाण्डेय, दीपक नामदेव, केतन दुबे, जयन्त चौबे, प्रमुख रूप से उपस्थित रहे। कार्यक्रम का सफल संचालन बृजमोहन संज्ञा ने किया।