इन्द्रपाल सिंह प्रिइन्द्र
विभाग में अटैच सफाई कर्मचारी बने बाबूजी
ललितपुर। भारत के प्रधानमंत्री और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री जहां एक ओर स्वच्छता अभियान को शहर के साथ- साथ ग्रामीण क्षेत्रों में शत-प्रतिशत धरातल पर उतारने का प्रयास कर रहे हैं तो वहीं ग्रामीण अंचलों में तैनात सफाई कर्मचारी तैनाती स्थल ग्रामीण क्षेत्रों में ना जाकर सरकारी विभागों व बंगलों में अस्थाई रूप से काम करते नजर आ रहे हैं। मजे की बात तो यह है कि कुछ विभाग में यही सफाई कर्मचारी लिपिक वर्ग के पटल का काम करते हुये आम जनमानस को परेशानी उत्पन्न कर रहे हैं। इस मामले में पहले कई बार विभिन्न संगठनों द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में तैनात सफाई कर्मचारियों को अस्थाई तैनाती से हटा कर उनकी नियुक्ति स्थल पर भेजे जाने की मांग भी कर चुके हैं, लेकिन कार्यवाही ना होने से ग्रामीण क्षेत्रों में स्वच्छता अभियान धरातल पर उतरता नजर नहीं आ रहा है। सबसे बड़ी हैरानी की बात तो यह है कि बड़े अधिकारियों के निरीक्षण के दौरान सभी सफाई कर्मचारी अपने-अपने स्थानों तक पहुंच जाते हैं और बाकी अन्य दिनों में सफाई कर्मचारी सरकार से मिलने वाली वेतन से कुछ रुपये देकर अन्य लोगों से ग्रामीण अंचलों में सफाई व्यवस्था के नाम पर औपचारिकतायें पूरी कराते देखे जा सकते हैं। ग्रामीण अंचलों से कई बार ऐसी शिकायतें मिलने के बाद सफाई कर्मचारी संगठन एकजुट होकर विभाग पर दबाब बनाकर अपनी नियुक्ति को यथावत रखवाते लेते हैं, जबकि कई ऐसे कर्मचारी भी हैं जो नेतागिरी की आड़ में तैनाती दिनों से ही गांव में सफाई करने पहुंचे ही नहीं।

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