देश

national

हेमंत बृजवासी का गीत युवाओं के सिर चढ़कर बोला

Wednesday, December 14, 2022

/ by Today Warta



गौरव मुखर्जी 

 12 दिवसीय राष्ट्रिय शिल्प मेले का हुआ रंगारंग समापन

प्रयागराज : राष्ट्रिय शिल्प मेले के समापन अवसर पर सोमवार को मुक्ताकाशी मंच लोगों से खचाखच भरा हुआ था। तालियों की गड़गड़ाहट के बीच  बृज के लाल हेमंत बृजवासी ने अपने सुरों से समा बांधा। सारेगामाप लिटिल चैम्प सीजन दो के विजेता हेमंत बृजवासी ने सोमवार को आयोजित सांस्कृतिक संध्या में अपनी शानदार परफार्मेंस दी। उन्होंने ‘वारी वारी जाउं मेरे श्याम सोहना मेरे बांके बिहारी‘ भजन से अपने सुरों का जाूद बिखेरा तो पूरी महफिल भक्तिमय होकर राधे- राधे के जयकारा से गूंज उठा। उन्होंने मुस्कुराने की वजह तुम हो... एक प्यार का नगमा है , तुम्हें दिल लगी भूल जानी पड़गी गीत गाकर पूस मास में फागुनी रंग घोल दिया। हेंमत का बृजवासी अंदाज युवा श्रोताओं के सिर चढ़कर बोला। उनके एक-एक गानें पर खूब तालियां बजी। उन्होंने श्रोताओं की मांग पर एक से बढ़कर एक प्रस्तुतियां देकर महफिल लूटी। भजनों के साथ फिल्मी गीतों पर लोगों को झूमने पर मजबूर कर दिया। प्रयागराज से खासा लगाव होने की वजह से बड़ी संख्या में लोग हेमंत बृजवासी को सुनने के लिए एनसीजेडसीसी पहुंचे और उनके गाए गानों पर जमकर ठमुके लगाएं। कार्यक्रम शुरू होने से पहले ही पूरा पंडाल दर्शकों से खचाखच भर गया था। हर कोई हेंमत बृजवासी को सुनने को आतुर दिखाई दिया। 

सोमवार को कार्यक्रम की शुरूआत झिझिया नृत्य की भावपूर्ण प्रस्तुति बिहार से पधारे अमानाथा प्रसाद एवं दल के द्वारा किया गया, जिसमें कलाकारों ने नृत्य के माध्यम से मिथिला की संस्कृति और गौरवशाली परंपराओं को बखूबी सबके सामने रखा।

कलाकारों ने चरकुला के साथ त्रिपुरा का होजागिरी लोकनृत्य की मनोरम छटा बिखेरी। ज्योंही शाम ने ढलने का इशारा किया, परंपरा के द्वीप चरकुला में दर्शक झूमने को मचल उठे। कलश, बोतल एवं पारंपरिक दीपक के साथ किया जाने वाला त्रिपुरा का होजागिरी नृत्य लोगों खूब रास आया। शक्ति उपासना की महिमा का बखान करने वाले इस नृत्य का दर्शकों ने भरपूर लुफ्त उठाया। इसके बाद संभलपुर का दाल खाई, तमिलनाडु का थप्पट्म लोकनृत्य को लोगों ने खूब इंजवाय किया। केंद्र निदेशक प्रो. सुरेश शर्मा ने पद्मश्री पण्डित राम दयाल शर्मा और हेमंत बृजवासी को पुष्प गुच्छ व अंग वस्त्र भेंट कर उनका स्वागत किया। केंद्र निदेशक ने अपने उद्बोधन में कहा कि पहले नौटंकी, माच, रामलीला आदि हुआ करती थी, लेकिन अब इन परंपरागत लोक कलाओं का स्थान आधुनिक सिनेमा ने ले लिया है। युवाओं को इन परम्परागत कलाओं को  फिर से पुर्नजीवित करने के लिए आगे आना होगा। उन्होंने सबका आभार व्यक्त किया।

प्रचार-प्रसार

Don't Miss
© all rights reserved
Managed by 'Todat Warta'