आलोक मिश्रा
बीबी को पुरसा देने आए दूर दराज से लोग
सरायअकिल,कौशाम्बी। करारी कस्बे के नेता नगर मोहल्ले में अय्यामे फातमिया पर मजलिस का आयोजन किया गया। मजलिस में नबी ए करीम की बेटी बीबी फातिमा जहरा के फजायल और मसायब बयान किए। मजलिस की शुरूआत कुरआन ए मजीद की तेलावत से की गई। मजलिस को शिकोहाबाद से आए मौलाना अबुजर खान ने पढ़ा। कस्बे के नेता नगर मोहल्ले के वादियुस सलाम बीबी जैनब के रौजे में अय्यामे फातमिया के सिलसिले में मजलिस का आयोजन किया गया। पेशखानी सरदार हुसैन उर्फ नय्यर रिजवी सोजख्वानी एहसान हैदर उर्फ चांद बाबू ने किया। मजलिस को मौलाना अबुजर खान ने पढ़ा। उन्होंने पढ़ा कि हमारे प्यारे नबी हजरत मोहम्मद मुस्तफा (स) की प्यारी बेटी हजरत फातिमा जहरा (स.अ) की वेलादत बा सादात मक्का में हुई। तारीखे आलम इस अजीम खातून की तिसाल पेश नहीं कर सकती। आप उम्मत की ख्वातीन के लिए बेहतरीन और काबिल तकलीद नमूना हैं। आप का लकब बतूल इसलिए था कि आप अपने दीन और शरफ की वजह से तमाम औरतों से यागाना थी। आप से शादी करने के लिए सरदाराने अरब ने पैगाम भेजा, लेकिन हुजूर अकरम ने उनका पैगाम कुबूल नहीं किया। जब हजरत अली (अ.स) ने हुजूर की खिदमत में हाजिर होकर शादी करने की बात रखी तो अल्लाह के हबीब ने ये पैगाम मंजूर फरमा लिया। आप एक ऐसी मां थी जिन के आगोश में इमाम हसन (अ.), इमाम हुसैन (अ.), बीबी जैनब (स.) और बीबी उम्मे कुलसूम (स.) जैसी औलादें परवान चढ़ीं। जनाब फातिमा इस्लाम में ख्वातीन के मरतबे की अजमत हैं। हुजूर अकरम की वफात के नब्बे दिन के बाद तीन जमादि उस सानी ११ हिजरी को बीबी फातिमा भी वफात पा गई। आपकी वसीयत के मुताबिक जन्नतुल बकी में रात के समय सुपुर्द ए खाक किया गया। बीबी के मसायब सुन अजादार अपनी आंखों से अश्क रोक नहीं सके और जारो कतार रोने लगे। कार्यक्रम का संचालन नय्यर रिजवी ने अंजाम दिया। मजलिस का एदमाम जव्वार असगर उर्फ फुरकान रिजवी ने किया।