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केबिल का खेल-शासन को लाखों का चूना

Thursday, December 1, 2022

/ by Today Warta



राकेश केसरी

कौशाम्बी। खेल देखिये, मुख्यालय मंझनपुर के विद्युत एंव टेलीफोन खंभों पर टेलीविजन केबिल का जाल बिछा है वह भी बिना परमीशन के। इससे शासन को प्रतिवर्ष लाखों का चूना लग रहा है। शासनादेश को ताक पर रखकर स्थानीय स्तर पर न्यूज और विज्ञापन का संकलन और प्रसारण हो रहा है। बतां दें कि जिले में आधा दर्जन केबल आपरेटर हैं। बतां दे कि मनौरी,सराय अकिल,मंझनपुर, भरवारी, सिराथू,अझुवा आदि मे केबल आपरेटर हैं। केबल आपरेटरों द्वारा एक माह में औसतन पांच हजार रुपया मनोरंजन कर दिया जाता है। जो कनेक्शन के हिसाब से काफी कम है। 31 मार्च 2011 को जारी चलचित्र विनियम अध्यादेश के तहत स्थानीय चैनलों को प्रतिवर्ष प्रति कनेक्शन सौ रुपये अलग शुल्क अनिवार्य कर दिया गया है।  इसके बाद ही एमएसओ सेटेलाइट से संकेतों को संकलित कर आपरेटर को प्रसारित कर सकते हैं लेकिन सेंट्रल केबल एक्ट 1995 में विज्ञापन अथवा स्थानीय स्तर पर न्यूज संकलन व प्रसारण का कोई अधिकार नहीं दिया गया है। ऐसे में विज्ञापन अथवा न्यूज का प्रसारण नहीं होना चाहिए। फिर भी जिले में यह कार्य खुलेआम चल रहा है। यही नहीं शहर के सभी विद्युत पोलो पर अस्थाई रूप से पोस्टर बैनर या केबिल लगाने के लिए विभाग की अनुमति अनिवार्य है। इसके लिए प्रति पोल प्रतिवर्ष साठ रुपये शुल्क निर्धारित है लेकिन यहां विभाग से न अनुमति ली गई है और न ही शुल्क जमा हो रहा है। यही नहीं इन्हें शट डाउन भी दिया जाता है। मंझनपुर के एसडीओ कहते हैं कि ऐसा मानवता के नाते किया जा रहा है। जबकि स्थानीय लोगो का कहना है कि आखिर विभागीय लोग मानवता के नाते उपभोक्ताओं की बकाया बिल क्यों नहीं माफ कर देते हैं। क्या मानवता सिर्फ केबिल आपरेटरों के लिए ही है। जबकि सबसे अहम बात है यह है कि अधिकारी लगातार कह रहे हैं कि विज्ञापन और समाचार का प्रसारण नहीं किया जा सकता है फिर विज्ञापन और समाचार प्रकाशित कर रहे लोगों के विरुद्ध कार्रवाई क्यों नहीं की जा रही है। इस बाबत मनोरंजन कर अधिकारी कहते हैं कि नोटिस भेजी गई है। अपर जिलाधिकारी कहते हैं कि चैनल का संचालन हो रहा है यह उनके संज्ञान में है,इसे बंद कराने का निर्देश दिया गया है। सबसे अहम बात है कि दस साल से अवैध ढंग से विद्युत व टेलीफोन खंभों का उपयोग कर एवं विज्ञापन का प्रसारण कर राजस्व की जो क्षति पहुंचाई गई है उसकी वसूली कौन करेगा। वही केबिल नेटवर्क संचालक प्रति कनेक्शन प्रति वर्ष सौ रुपया राजस्व जमा करेगा। एमएसओ सिर्फ सेटेलाइट से संकेतों को संकलित कर आपरेटर को प्रसारित कर सकते हैं। सेंट्रल केबिल एक्ट 1995 के तहत विज्ञापन का स्थानीय स्तर पर संकलन व प्रसारण नहीं किया जा सकता। प्रति वीडीओ कैसेट प्रति वित्तीय वर्ष 240 अतिरिक्त लाइसेंस शुल्क जमा करना होगा। 

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