राकेश केसरी
विधानसभा चुनाव के दौरान पीएम ने मंच से पीतल उद्योग पुर्नजीवित करने की बात कही थी
कौशाम्बी। विकास का सपना था। लोगों की तकदीर व क्षेत्र की तस्वीर बदलने का जुनून। तभी तो औद्योगिक आस्थान, अस्सी के दशक में शमसाबाद औद्योगिक क्षेत्र की स्थापना की गयी थी। पीतल नगरी शमसाबाद की बादशाहत गैर-प्रांतों में भी स्थापित थी, लेकिन समय ने करवट बदला तो कच्चे माल की कमी, बाजार की अनुपलब्धता व प्रोत्साहन के अभाव के चलते एक-एक कर तमाम इकाईयां बंद हो गयीं। तमाम कयासों के बावजूद कोई भी इकाई पुनर्जीवित नहीं हो सकी। जानकारों का कहना है कि जब प्रदेश में नारायण दत्त त्रिपाठी मुख्यमंत्री थे। तभी वर्ष 1965 के आसपास शमसाबाद के औद्योगिक आस्थान की नींव पड़ी थी। करीब दो दर्जन इकाईयां खुली और चली भी। जानकारों का कहना है कि वर्ष 1987 में शमसाबाद को मिनी मुरादाबाद बनाने की नियति से औद्योगिक क्षेत्र की स्थापना की गयी थी। उस समय लगभग सात दर्जन से अधिक इकाईयों की स्थापना की गयी थी। उत्साही उद्यमियों ने कारखाने स्थापित किये, लेकिन बैंकों की उदासीनता के चलते वर्किंग कैपिटल नहीं मिले जिसके चलते व्यवधान आना शुरू हो गया। बताते हैं कि इसके अलावा तत्कालीन सरकार ने स्थापना के समय कच्चे माल की उपलब्धता व तैयार सामग्री के लिए बाजार उपलब्ध करवाने का आश्वासन दिया था, लेकिन समय के साथ उसका ध्यान इधर से हट गया। जिसका परिणाम हुआ तमाम इकाईयां बंद हो गयीं। जानकारों का कहना है कि पीतल व फूल के बर्तनों के लिए शमसाबाद का नाम उ.प्र., बिहार, मध्यप्रदेश समेत आधा दर्जन राज्यों में जाना जाता था। समय के साथ तकनीक बदली और स्टील, बोन चाइना, प्लास्टिक आदि के बर्तन बनने लगे, जिसके चलते फूल व पीतल का कारोबार हाशिये पर आ गया। बड़े कारोबारी पे्रम कसेरा का कहना है कि यदि पूंजी रही होती तो समय के साथ उन्नत मशीनों की स्थापना कर पीतल नगरी मुरादाबाद की तरह यहां भी काम चल रहा होता, लेकिन ऐसा नहीं हो सका। वर्तमान में तमाम हुनरमंद हाथ जीविका के लिए संघर्ष कर रहे हैं। सरकारी कवायदों के बावजूद हकीकत में कोई काम नहीं हो सका है। ऐसे में देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बीते विधान सभा चुनाव के दौरान कौशाम्बी में चुनाव प्रचार के दौरान उन्होने शमसाबाद के पीतल उद्योग को पुर्नजीवन देने की बात मंच से कही थी,वही भाजपा की सूबे में पुन: सरकार बने एक वर्ष से अधिक का समय व्यातीत होने के बाद भी आज तक जिले के किसी भी भाजपा नेता या सांसद ने शायद प्रधानमंत्री के वादे की उन्हे याद नही दिलाई। जिससे वर्तन व्यवसाइयों उम्मीद टूटती जा रही है।