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बांसी-हर्षपुर पेयजल योजना का आमजन को नहीं मिल रहा लाभ

Wednesday, December 28, 2022

/ by Today Warta



इन्द्रपाल सिंह प्रिइन्द्र

स्थानीय सांसद को ज्ञापन भेजकर उठायी पेयजल योजना सुचारू कराने की मांग

ललितपुर। दर्जनों ग्रामीण अंचलों में पेयजल आपूर्ति के लिए पचास करोड़ रुपयों की लागत से बनी बांसी-हर्षपुर पेयजल योजना से जलापूर्ति न होने पर आक्रोश व्यक्त करते हुये बुन्देलखण्ड एकीकरण समिति के ब्लाक प्रभारी सुदामा प्रसाद दुबे ने एक पत्र स्थानीय सांसद को भेजा है। ज्ञापन में बताया कि राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल योजनान्तर्गत 50 करोड़ की लागत से 12 ग्राम पंचायत के 19 गांव वासियों की प्यास बुझाने के बांसी- हर्षपुर पेयजल योजना बनायी गयी। 2018-19 में इस योजना को पूर्ण कर लिया गया और पेयजल आपूर्ति की शुरुआत कर दी गई। लेकिन दुर्भाग्य देखिए जिस गांव के नाम से यह योजना बनाई गई उनको ही पानी नहीं मिल पा रहा है। बांसी में बने ओवर हेड टैंक से बांसी, कल्यानपुरा, आलापुर, लखनपुरा, मुहारा, खिरिया, खिरकन, गोविन्दपुरा, पेजलापू्र्ति होती है लेकिन छह माह में मात्र पन्द्रह दिन ही इस ओवर हैड तक पानी पंहुच सका है, जिससे यहाँ के बाशिंदों को छह माह में पन्द्रह दिन ही पानी मिला इसी तरह हर्षपुर गांव में वर्ष 2019 उद्घाटन के दिन ही पानी पंहुचा था। तीन साल में एक दिन पानी यहां पंहुच सका है। हर्षपुर गांव ब्लॉक जखौरा का सबसे अधिक 22 मजरों वाला गांव है और यहां सबसे अधिक अनुसूचित जन जनजाति के सहरिया परिवार निवासी करते हैंं। इनको पानी देने के लिए सरकार ने करोड़ों खर्च किए लेकिन पानी नहीं मिल सका है। इस योजना का शाहजाद बांध के पास बरी गांव में सी.पी. टैंक बना है जिससे तेरई गांव में बने फिल्टर टैंक तक पानी पंहुचाया जाता है तेरई फिल्टर टैंक द्वारा इस योजना से जुड़े गांवों में बने ओवर हैड तक पानी पंहुचता है, लेकिन बरी में बने सी. पी. टैंक पर लगी विधुत मोटरों को इतना वोल्टेज नहीं मिलता कि फिल्टर टैंक तक इतना पानी पंहुच सके कि सभी गांवों के ओवर हैड टंकों तक पानी पंहुच सके। इस तरह तीन वर्ष निकल गए लेकिन पानी पंहुचाने की व्यवस्था नहीं बन सकी है। सरकार भले ही कितना ही धन खर्च कर ले और कोई भी बड़ी योजना बना ले लेकिन उसका क्रियान्वयन करने वाली सरकारी मशीनरी में बैठे अधिकारी यदि गम्भीरता नहीं दिखाते है तो उसका हाल बांसी-हर्षपुर पेयजल योजना जैसा ही हाल होता है। कागजों में भले ही सरकारी आंकड़े पानी सप्लाई कुछ भी दर्शा रहे हों लेकिन कितने गांव को कितने दिन पानी नसीब हुआ इसकी तसदीक़ गांव वासियों से की जाती सकती है। उन्होंने स्थानीय सांसद से गांववासियों को पेयजल दिलाए जाने  की मांग उठायी है।

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