इन्द्रपाल सिंह प्रिइन्द्र
कुष्ठरोग की रोकथाम के लिए जनपद स्तरीय हुआ प्रशिक्षण
ललितपुर। जिला महिला चिकित्सालय के हौसला ट्रेनिंग सेंटर में राष्ट्रीय कुष्ठ उन्मूलन कार्यक्रम के अंतर्गत कुष्ठ रोग का जनपद स्तरीय प्रशिक्षण आयोजित किया गया। प्रभारी सीएमओ व जिला कुष्ठ अधिकारी डा आरएन सोनी ने प्रशिक्षण का शुभारंभ करते हुए बताया कि सभी संक्रामक रोगों में कुष्ठ रोग सबसे कम संक्रामक है। कुष्ठ रोग अनुवांशिक नहीं है। कुष्ठ रोग किसी को भी हो सकता है। कुष्ठ रोग माइकोबैक्टेरियम लेप्रो नामक कुष्ठ जीवाणुओ से होने वाली बीमारी है। उन्होंने सभी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों के चिकित्सा अधिकारियों को निर्देशित किया कि वह ओपीडी में आने वाले रोगियों को चिह्नित कर समय से उपचार कराना शुरू करें,साथ ही कुष्ठ रोगियों का फॉलोअप भी आवश्यक है। उप जिला कुष्ठ अधिकारी डा सौरभ सक्सेना ने बताया कि कुष्ठ रोग छुआछूत का रोग नहीं है। समय से इलाज कराने से कुष्ठ संबंधी विकलांगता से बचा जा सकता है। कुष्ठ रोगियों के साथ भेदभाव न किया जाए। हर एक दाग धब्बा कुष्ठ रोग नहीं होता है। पैदाइशी निशान, दूध जैसा सफेद दाग धब्बा, अक्सर आने जाने वाला दाग धब्बा कुष्ठ रोग के दाग धब्बे नहीं है। यदि किसी के शरीर में सुन्नपन, चकत्ता और लाल निशान दिखाई दे रहे है तो ऐसे व्यक्ति को अपनी जांच करानी चाहिए। कुष्ठ रोग की शुरुआत एक या अनेक दाग धब्बे से हो सकती है। दाग धब्बे जो त्वचा के रंग की तुलना में फीके या लाल, उभरे या सपाट हो सकते हैं। कुष्ठ रोग का इलाज सभी सरकारी अस्पतालों में उपलब्ध है जिसका कोई भी पैसा नहीं लगता है। एमडीटी ( बहु ओषधोपचार) ही कुष्ठ रोग का भरोसेमंद आधुनिक एवं अत्यंत असर कारक उपचार है। इस समय जिले में 93 कुष्ठ रोगी उपचाराधीन है और 22 मरीज वर्तमान वित्तीय वर्ष में इलाज के बाद रोग मुक्त हो चुके हैं। रोग व्यापकता दर 0.57 है। कुष्ठ रोग में देरी से मरीज विकलांगता की श्रेणी में आ जाता है। इसलिए जरूरी है कि समय से इलाज कराकर विकलांगता से बचाया जाए। इस दौरान जिला कुष्ठ अधिकारी डॉ आर एन सोनी, जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डा हुसैन खान, उप जिला कुष्ठ अधिकारी डा सौरभ सक्सेना, कुष्ठ पर्यवेक्षक स्वरूप चंद जैन, धनेश कुमार सिंह, एन एम ए बालकिशन आदि मौजूद रहे।
ये हैं लक्षण
तैलीय चिकनी त्वचा, लाल सूजी मोटी दिखने वाली, कान की पाली मोटी होना, सूजा हुआ चेहरा, भौहें के बाल कम होना, तंत्रिका तंत्र के खराब होने पर हाथ पैर में चीटियां काटना, झनझनाहट होना, सुन्नपन, त्वचा का रूखापन होना, कई बार आंखों की पलकों का बंद ना होना, अंगुलियां का टेढ़ा होना, हाथ पैर में लकवा होना आदि लक्षण हैं।