राकेश केसरी
कौशाम्बी। सूबे में दूसरी बार सरकार के मुखिया ने कार्यभार सभालते ही जनहित के मुद्दो पर अपनी बेबाक राय से यह जाहिर कर दिया था, कि अब सरकार के उपक्रम में नौकरी करने वाले सुधर जाय और अपने कर्तव्य का निर्वाहन सही ठंग से करना होगा। उन्होने स्वच्छता पर विशेष बल दिया है। लेकिन जिले में ग्राम प्रधानों के असहयोगात्मक रवैया व सफाई कर्मियों की लापरवाही के चलते सरकार की स्वच्छ ग्रामों की परिकल्पना को ग्रहण सा लगा है। क्षेत्र के ज्यादातर गांव नरक में तब्दील है जगह-जगह पसरी पड़ी गंदगी और गलियों में भरे पडे कीचड़ से लोगों का जीना दूभर हो रहा है। गंदगी का ही परिणाम है कि लोग विभिन्न रोगों से ग्रस्त हो रहे है। दिन में मक्खियां तो रात में मच्छर लोगों का चैन छीने हुये है। सिराथू विकास खण्ड के शमसाबाद, उदहिन, पइन्सा, रामपुर धमावां, उंवारी सहित ऐसे तमाम गांव है जहां गंदगी का सम्राज्य बना हुआ जिधर भी देखों उधर ही गंदगी नजर आती है। ग्रामों में लगे कूढे के ढेर तथा जगह-जगह फैली पड़ी गंदगी कई रोगों को दावत दे रही है। यू तो गांव की साफ सफाई की जिम्मेदारी सफाई कर्मचारियों की है। जिसकी मानिरिंटग ग्राम प्रधान को करना है। वही मक्खी, मच्छरों से मुक्ति दिलाए जाने की जिम्मेदारी स्वास्थ्य विभाग की है। परंतु स्वास्थ्य विभाग का भी इस ओर कोई ध्यान नहीं है। अभी तक क्षेत्र के किसी गांव में कीटनाशक दवाओं का छिड़काव नहीं कराया गया। जिसके चलते सरकार की स्वच्छ गांव की परिकल्पना ग्रामीणों के लिये केवल एक सपना ही बन कर रह गयी। क्षेत्र की जनता ने इस तरफ ध्यान देने की जिला प्रशासन से मांग की है।
अब झाड़ू लगाने में आ रही शर्म!
डेढ दसक पहले राजस्व गांवों में की गई सफाई कर्मियों की नियुक्ति में उच्च जाति के चयनितों को अब झाड़ू पकडने में शर्म आ रही है। सरकारी नौकरी की चाह में पहले तो उन्होंने इस काम के लिए हामी भर दी, लेकिन अब महीनों तैनाती स्थल से गायब रहते हैं। ग्रामीण परेशान हैं, अधिकारियों से शिकायत के बावजूद व्यवस्था नहीं सुधर रही है। सिराथू विकास खण्ड़ के शमसाबाद गांव के ग्रामीणों का कहना है कि करीब तीन-चार माह से सफाई कर्मी गांव से गायब है। कूड़े के ढेर लग गए हैं। नालियां बजबजा रही हैं। मनोज कुमार ने बताया कि तैबापुर में तैनात सफाईकर्मी सालों से सफाई नहीं कर रहा है। पूर्व में भी अधिकारियों से शिकायत की गई थी। अन्य ग्रामीणों का कहना है कि सफाईकर्मी साफ-सफाई करने वाले समुदाय से नहीं है, इसलिए उसे इस काम में शर्म आती है। गांव बारातफारीक में भी सफाई व्यवस्था ठप है। रमाकान्त मौर्या का कहना है कि चार माह से सफाईकर्मी घर बैठे वेतन ले रहा है। अधिकारियों से शिकायत के बावजूद कुछ नहीं हो रहा। प्रेमचन्द्र, लालबाबू, गुलाब, हीरालाल, जवाहिर आदि ने लंबे समय तक गैरहाजिर रहने वाले सफाईकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। डीपीआरओ डा0 बालगोबिन्द श्रीवास्तव का कहना है कि जहां से शिकायत मिलती है जांच करवाई जाती है। इन मामलों में भी वह जांच करवाएंगे।