इन्द्रपाल सिंह'प्रिइन्द्र
ललितपुर। जनपद के जाखलौन कस्बे का रेलवे स्टेशन यात्रियों के लिए खतरनाक और जोखिम से भरा हुआ बना है। स्टेशन पर मालगाड़ी खड़ी होने से यात्रियों को जान जोखिम में डालकर निकलना पड़ता है जो कभी भी यात्रियों के लिए जानलेवा साबित हो सकता है। विश्व प्रसिद्ध दशावतार मंदिर, जैन मंदिर को रेल मार्ग से जोडऩे वाला यह रेलवे स्टेशन यात्रियों के लिए सफेद हाथी साबित हो रहा है। कोरोना काल में ट्रेनों का स्टॉपेज बंद होने के बाद इस स्टेशन पर रुकने वाली छत्तीसगढ़ एक्सप्रेस, साबरमती एक्सप्रेस, अमृतसर दादर एक्सप्रेस ट्रेनों के स्टॉपेज का क्षेत्रवासियों को अभी भी इंतजार है। अधिकारियों, नेताओं को अनेकों ज्ञापन, प्रार्थना पत्र देने और अनुनय विनय के बाद कोई परिणाम न निकलने से लोगों ने अब निर्णायक लड़ाई लडऩे का मन बना लिया है। क्षेत्रवासियों ने ट्रेनों का स्टॉपेज बहाल न होने पर उसका परिणाम आगामी लोकसभा चुनाव में दिखाने का मन बना लिया है। बताते चलें कि जिले का सर्वाधिक महत्वपूर्ण स्टेशन होने के बाद भी इस स्टेशन पर मूलभूत सुविधाओं का अभाव आज भी बना हुआ है। स्टेशन से प्लेटफार्म पर जाने के लिए ओवरब्रिज का अभाव है, जिसके चलते लोगों को मालगाड़ी के नीचे से निकलना पड़ता है। क्या रेलवे लाइन पार करना, मालगाड़ी के ऊपर या नीचे से निकालना अपराध की श्रेणी में नहीं आता है। तब मालगाड़ी खड़ी कर देना और इसके नीचे से यात्रियों को आने जाने के लिए विवश कर देना कितना तर्कसंगत है। कई बार महाप्रबंधक, मंडल रेल प्रबंधक एवं मंडल रेल सलाहकार समिति की बैठकों में माल गाडय़िों को यात्री गाडय़िों के आवागमन के समय बीच में खड़ी न करने के सुझाव कई बार दिए जा चुके हैं। परंतु आज भी यात्री गाडिय़ों के समय बीच में मालगाड़ी खड़ी कर दी जाती हैं। ऐसी स्थिति में छोटे बच्चों, महिलाओं, वृद्ध लोगों और ऑपरेशन करा कर लौटे मरीजों को प्लेटफार्म तक ले जाना बहुत ही दुश्वारियां भरा होता है। इस संबंध में पूर्व सांसद उमा भारती ने भी इस मामले को मंत्री के समक्ष रखा था। परंतु आज भी माल गाडिय़ों का रुकना बंद नहीं हुआ है। क्षेत्र के जिला पंचायत सदस्य अमर सिंह विश्वकर्मा ने इसे गंभीर मानते हुए रेल प्रशासन से तुरंत ध्यान देने की मांग की है। उन्होंने कहा कि इस स्टेशन पर जो ट्रेन्स के स्टॉपेज पूर्व में बने हुए थे उन्हें बहाल किया जाए।