इन्द्रपाल सिंह'प्रिइन्द्र
अभिनंदनोदय तीर्थ में मुनिसंघ के सानिध्य में हो रही अपूर्व धर्मप्रभावना
ललितपुर। जैन दर्शन द्वारा अभाव में सदभाव की अनुभूति मिलती है। संसार में सुख के साधन छोडने में ही सच्चा सुख बताते हुए मुनि सुधासागर महाराज ने कहा कि साधू उपसर्ग में दुखी नहीं होता। उन्होने कहा वैर द्वेष के कारण नहीं राग में होता है। राग ही ऐसा दुश्मन है जिसमें व्यक्ति जीवन का सुख छोडकर पतन में पहुचता है। इष्ट के वियोग में हमारी शक्तियां क्षीण होती है जिससे बचना चाहिए। मुनि श्री ने कहा व्यक्ति संसार में जन्म लेने बाद सुखी हो जाए संभव नहीं हमें अपनी इच्छाओं को सीमित कर धर्म से जुडकर संतोष धारण करना चाहिए। धर्मसभा में निर्यापक श्रमण मुनि सुधासागर महाराज ने यह विचार व्यक्त किए। इसके पूर्व सुबह श्रावकों ने मूलनायक अभिनंदननाथ भगवान की पूजन अभिषेक का पुण्र्याजन किया इसके उपरान्त धर्मसभा का शुभारम्भ पुण्र्याजक परिवार ने आचार्य श्रेष्ठ विद्यासागर महाराज के चित्र के सम्मुख दीपप्रज्जवलित कर मुनि श्री का पादप्रक्षालन किया। निर्यापक मुनि सुधासागर महाराज ससंघ एवं आर्यिका आदर्शमति माताजी ससंघ को श्रावकों ने नवदा भक्ति पूर्वक पडगाहन का पुण्र्याजन किया।
कारीगरों द्वारा मूर्तियों पर प्रशस्ति लेखन
क्षेत्रपाल मंदिर में मुनिश्री सुधासागर महाराज की मौजूदगी में 28 जनवरी से शुरू होने वाले पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव की तैयारियां इन दिनों तेजी से शुरू हो गई हैं। इन दिनों जयपुर से आई मूर्तियों पर कारीगरों द्वारा प्रशस्ति लेखन का कार्य आकर्षण का केन्द्र बना हुआ है।